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यूपी विधानसभा चुनाव 2022: बाहुबली नेताओं की बैकडोर से एंट्री का BJP ने बनाया फुल प्रूफ प्लान!

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Published : Jan 14, 2022, 6:46 PM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में धनजंय सिंह, अखण्ड प्रताप सिंह, जितेंद्र सिंह बब्लू जैसे बाहुबली नेता बीजीपी के सहयोगी दलों से चुनाव लड़ सकते है. इसका फुल प्रूफ प्लान भी तैयार हो चुका है.

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लखनऊ: योगी सरकार ने पिछले 4.5 साल की सरकार में भले ही माफियाओं और अपराधियों पर नकेल कसा, लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों के ऐलान होने के बाद पार्टी उन चेहरों पर दांव खेलने से गुरेज नहीं करेगी, जो उसके लिए फायदे के साबित हो सकते हैं. कहा जा रहा है कि इसके लिए भाजपा ने अपनी सहयोगी दलों की मदद से बाहुबली नेताओं की एंट्री का फुल प्रूफ प्लान भी तैयार किया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपई कहते है कि प्रत्याशी चुनना सहयोगी दलों का निजी फैसला है, वो जिसे चाहें प्रत्याशी बनाएं.

ईटीवी भारत की टीम से बात करते निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद
संजय निषाद की निषाद पार्टी को भाजपा लगभग 15 सीटें दे रही है. ये सभी सीटें उन विधानसभा क्षेत्रों में दी गयी हैं, जहां निषाद मतदाताओं के संख्या अधिक है. कुछ सीटें ऐसी भी हैं, जहां भाजपा के विधायक तो हैं, लेकिन उनकी जीतने की उम्मीद 2022 के चुनावों में बिल्कुल नहीं है. बीजेपी निषाद पार्टी के सहारे ऐसी सीटों पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है. सूत्रों की माने तो बाहुबलियों की एंट्री की जिम्मेदारी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को दी है. धनजंय सिंह, अखण्ड प्रताप सिंह, जितेंद्र सिंह बब्लू जैसे बाहुबली नेता बीजीपी के सहयोगी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं और 2022 में योगी सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने स्वीकार किया कि धनजंय सिंह, अखंड प्रताप सिंह को बिल्कुल चुनाव लड़ाएंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने कहीं नहीं कहा है कि ऐसे लोग चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. अगर कोई वोट देता है, तो चुनाव भी लड़ सकता है. अगर वो जीतने वाले प्रत्याशी हैं, तो जरूर लड़ेंगे. वो हमारे सहयोगी हैं.

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बाहुबली
जौनपुर की मल्हनी (पूर्व में रारी) विधानसभा सीट पर 2012 से लेकर अब तक लगातार समाजवादी पार्टी का कब्जा है. मुलायम सिंह यादव के खास कहे जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव इस सीट से दो बार विधायक चुने गए थे. जून 2020 में उनके निधन के बाद नवंबर 2020 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र लकी यादव चुनाव जीत थे. उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी धनंजय सिंह को लगभग 4 हजार मतों से पराजित किया था. वहीं भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों की इस सीट पर जमानत जब्त हो गई थी. धनजंय सिंह को निषाद पार्टी मल्हनी सीट से उम्मीदवार बना सकती है. राजनीतिक रूप से आजमगढ़ जिले की अतरौलिया विधानसभा की सीट काफी मायने रखती है. इस सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावार नेता बलराम यादव का कब्जा रहा था. साल 2012 में उन्होंने यह सीट अपने पुत्र संग्राम सिंह यादव के लिए छोड़ दी थी. 2017 के चुनाव में संग्राम यादव, भाजपा के कन्हैया निषाद और बसपा से पूर्व ब्लाक प्रमुख अखंड प्रताप सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे. संग्राम यादव को 74276 वोट मिले थे.

बीजेपी के कन्हैया निषाद को 71809 वोट मिले थे. बसपा से पूर्व प्रमुख अखंड प्रताप सिंह 56536 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. अखंड प्रताप सिंह की पत्नी वंदना सिंह निषाद पार्टी की सदस्यता ले चुकी है. माना जा रहा है निषाद पार्टी के हिस्से में अतरौलिया सीट आ रही है और इसमें माफिया अखंड की पत्नी भाजपा गठबंधन की उम्मीदवार होंगी और भोजन की थाली के निशान विधानसभा चुनाव लड़ेंगी.

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भाजपा में जगह ने मिलने के बाद भी बीकापुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू भाजपा के सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ने की संभावना है. भाजपा की सरकार बनाओ अधिकार पाओ रैली में पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू सैकड़ों समर्थकों के साथ निषाद पार्टी में शामिल हुए थे. कहा जा रहा है कि बीकापुर सीट पर जितेंद्र सिंह बबलू को उम्मीदवार बनाने के लिए निषाद पार्टी ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को मना लिया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपई कहते है कि हम ये देखेंगे कि प्रदेश कैसे चलाया जाए, प्रत्याशी चुनना उन दलों का निजी फैसला है, वो जिसे चाहे उसे प्रत्याशी बनाएं.

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