लखनऊ : 50 लाख रुपये की दवा एक्सपायर मामले को लोहिया संस्थान प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. संस्थान प्रशासन ने हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के पुराने सदस्यों को हटा दिया है. इन पर दवाओं के रख-रखाव और एक्सपायर दवाओं के निस्तारण में कोताही बरतने का आरोप है. संस्थान प्रशासन ने नौ सदस्यीय कमेटी गठित की है. वहीं एचआरएफ के चेयरमैन डॉ. अतुल जैन के स्थान पर न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके सिंह को नई जिम्मेदारी दी गई है.
25 मई को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लोहिया संस्थान का निरीक्षण किया गया था. एचआरएफ के स्टोर में 50 लाख रुपये की एक्सपायर दवाएं पकड़ी थीं. इसमें तमाम जीवनरक्षक दवाएं शामिल थीं. यह दवाएं स्टोर में रखे-रखे एक्सपायर हो गई थीं. नियमानुसार इन दवाओं को कंपनी को लौटाना चाहिए था, लेकिन लापरवाह अफसरों ने इसमें कोताही बरती. नतीजतन मरीजों को मिलने के बजाए दवाएं एक्सपायर हो गईं. इस मामले को डिप्टी सीएम ने गंभीरता से लिया था. मामले की जांच कराने के आदेश दिये थे. जिम्मेदारों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
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दवा एक्सपायर मामला : डॉ. एके सिंह को एचआरएफ के चेयरमैन की जिम्मेदारी, नौ सदस्यीय नई कमेटी गठित
50 लाख रुपये की दवा एक्सपायर मामले को लोहिया संस्थान प्रशासन ने गंभीरता से लिया है. संस्थान प्रशासन ने हॉस्पिटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) के पुराने सदस्यों को हटा दिया है. वहीं नौ सदस्यीय कमेटी गठित की है.
कम कीमत पर मिलती है दवा :लोहिया संस्थान में करीब 1000 बेड हैं. ओपीडी व भर्ती मरीजों को बाजार से सस्ती दवाओं के लिए एचआरएफ के मेडिकल स्टोर खोले गए हैं. इनमें मरीजों को 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं. ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाला सामान भी मरीजों को मिलता है. संस्थान प्रशासन सीधे कंपनी से आवश्यक सामान खरीदता है. दवा एक्सपायर होने से कम से कम तीन महीने पर कंपनी को सूचना देनी होती है. यह जिम्मेदारी एचआरएफ कमेटी की होती है. जिसके बाद कंपनी दवा वापस लेती है.
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