लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में लेवाना होटल अग्निकांड (levana hotel fire) मामले में होटल मालिक व अभियुक्त पवन अग्रवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर सोमवार को बहस पूरी हो गई. बहस के पश्चात न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है.
सोमवार को न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ के समक्ष पवन अग्रवाल की अग्रिम जमानत याचिका पर बहस हुई. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि उसके दो पुत्रों को पहले ही जेल भेजा जा चुका है, परिवार में कोई पुरूष सदस्य नहीं बचा है. अभियुक्त की ओर से यह भी दलील दी गई है कि वह 75 वर्ष का है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित है, उसे हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं. वहीं राज्य सरकार व पीड़ितों की ओर से अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि बुजुर्ग व बीमार को गंभीर मामलों में अग्रिम जमानत आवश्यक रूप से देने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके साथ ही यह भी दलील दी गई कि अभियुक्त बहुत ही रसूखदार व्यक्ति है, जहां वह रहता है उसके चारों तरफ बड़े-बड़े नेताओं के घर हैं, उसकी पहुंच इतनी है कि उसके होटल का नक्शा मंजूर हुए बिना ही उसे फायर एनओसी प्राप्त हो गई.
वहीं मामले के विवेचक ने न्यायालय को बताया है कि अभियुक्त विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है. अभियुक्त की ओर से मुख्य रूप से दलील दी गई कि उक्त होटल का व्यवसाय चलाने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी, सारा कारोबार उसका बेटा व भतीजा देखते थे. यह भी कहा गया कि विवेचनाधिकारी ने पूछताछ के लिए आज तक इस मामले में जेल में निरुद्ध अभियुक्तों से कोई पूछताछ नहीं की है, जिसका अर्थ है कि उनके पास पूछने के लिए कुछ नहीं है, ऐसे में पवन अग्रवाल को भी विवेचनाधिकारी सिर्फ जेल भेजना चाहते हैं और आत्मा समर्पण करने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि मामले की रिपोर्ट हज़रतगंज के एसएसआई दयशंकर द्विवेदी ने 5 सितम्बर को दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया है कि होटल लेवाना में आग लग गई, जिस पर पुलिसकर्मी, फ़ायर फाइटर और एसडीआरएफ की काफ़ी मशक़्क़त के बाद आग पर क़ाबू पाया गया, इस घटना में चार व्यक्तियों की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए.