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अनसूचित जाति के फर्जी सर्टिफिकेट से बन रहे सरकारी नौकर और विधायक: रामनरेश पासवान - Former Minister Vijay Singh Gond

उपाध्यक्ष रामनरेश पासवान ने बताया कि 2012 में विजय सिंह गोंड जनजाति में चला गया. दुद्धी सीट एससी के खाते में रही. अपनी नजदीकी रूबी प्रसाद को उन्होंने चुनाव लड़वाया और विधायक बनवाया.

रामनरेश पासवान
रामनरेश पासवान

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Published : May 31, 2022, 10:46 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष रामनरेश पासवान ने अनुसूचित जाति के सर्टिफिकेट पर सरकारी नौकरी पाने और विधायक तक बन जाने जैसे सनसनीखेज खुलासे किए हैं. उन्होंने खुलासा किया कि साल 2007 में मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे. उन्हीं की सरकार में एक मंत्री था विजय सिंह गोंड. उन्होंने 2007 में बिहार के सामान्य वर्ग से आने वाली राजपूत महिला को अपना नजदीकी बनाया और दुद्धी विधानसभा से 2007 में दलित जाति का सर्टिफिकेट बनवाया.

उपाध्यक्ष रामनरेश पासवान ने बताया कि 2012 में विजय सिंह गोंड जनजाति में चला गया. दुद्धी सीट एससी के खाते में रही. अपनी नजदीकी रूबी प्रसाद को उन्होंने चुनाव लड़वाया और विधायक बनवाया. जब मुझे पता चला कि वह अनुसूचित जाति की नहीं हैं तो मैंने उसी समय से पता करना शुरू किया. उसका सर्टिफिकेट निकलवाया. बिहार में कहां की रहने वाली है, उसके पिता कौन हैं, भाई कौन हैं, सब रिकॉर्ड निकलवाया. रिकॉर्ड में पता चला कि वह सुबोध सिंह की लड़की है और राजपूत जाति की है. 10 साल तक डीएम और कमिश्नर ने भी जांच का निस्तारण नहीं किया. इधर-उधर से सेटिंग करके रूबी प्रसाद अधिकारियों पर दबाव डलवाती रहीं. शिवपाल यादव की भी वह काफी नजदीकी रहीं, इसलिए कुछ नहीं हुआ. हमने जांच शुरू की तो यह बड़ा खुलासा हुआ है. यह कहां के रहने वाले थे, उसके बारे में सब पता हो गया. जहां से जाति प्रमाण पत्र बना था वहां के तहसीलदार को बुलाकर लखनऊ से विजिलेंस टीम भेजकर जाति प्रमाण पत्र की जांच कराई गई. जांच कराने पर पता चला कि रूबी प्रसाद के पिता सुबोध सिंह हैं. इनके बाबा रघु सिंह हैं. राजपूत जाति की हैं. इनके पिता और भाई ने साक्ष्य प्रस्तुत किया कि मैं राजपूत हूं, लड़की घर से चली गई थी. उत्तर प्रदेश में रहकर हमारी जाति को अपमानित किया तो घर से निकाल दिया है.

रामनरेश पासवान

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उन्होंने बताया कि यह भारत का पहला केस होगा जिसे डीएम और कमिश्नर के स्तर से 10 साल तक लटकाए रखा गया है. यह ऐसा पहला केस है कि प्रमुख सचिव समाज कल्याण के यहां से सीधे जांच करके फर्जी सर्टिफिकेट निरस्त किया गया. अनुसूचित जाति के हक को मारकर फर्जी सर्टिफिकेट से नौकरी ली गई है. ऐसे तमाम मामलों की जांच चल रही है. अब हमने नियम बहुत कड़े कर दिए हैं. अब कोई जाति प्रमाण पत्र फर्जी बनाएगा तो दंडित किया जाएगा. अब अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाण पत्र किसी कीमत पर नहीं बन पाएंगे.

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