लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग से लेकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तक की 10 से ज्यादा भर्ती प्रक्रिया अभी तक फंसी हुई है. किसी भर्ती प्रक्रिया के नतीजे रोके गए हैं तो किसी में आवेदन देने और परीक्षा कराने के बाद भी आयोग शांत है. नतीजे और नियुक्ति की मांग को लेकर अभ्यर्थी सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदेश के लाखों युवाओं के सपने दांव पर हैं.
यह भर्ती प्रक्रिया अभी तक नहीं हुई पूरी:उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तरफ से सम्मिलित तकनीकी सेवा चयन भर्ती प्रक्रिया 2016 में शुरू की गई थी. 292 रिक्त पदों के लिए 52000 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है. वहीं अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने जून 2014 से मार्च 2017 के बीच 49 विज्ञापनों के तहत विभिन्न विभागों के करीब 40,245 पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की थी. अब तक करीब 38,835 पदों पर प्रक्रिया पूरी हो पाई है. 4000 से ज्यादा पदों के लिए अभी भी अभ्यर्थी संघर्ष कर रहे हैं.
यह अभ्यर्थी बीते 70 दिन से लखनऊ में धरना दे रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तरफ से कुछ साल पहले कनिष्ठ सहायक के 536 पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसमें अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी. उनका साक्षात्कार भी हो चुका है, लेकिन नतीजे जारी नहीं किए गए हैं. इन नतीजों को जारी किए जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों की तरफ से करीब 1 सप्ताह पहले पिकप भवन पर धरना प्रदर्शन भी किया गया था.
जनवरी 2021 में प्रदेश में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के करीब 50,000 पदों को भरने के निर्देश दिये गये थे. जिलेवार भर्ती की जानी थी. कई जिलों में ऑनलाइन आवेदन तक लिए गए, लेकिन आवेदन प्रक्रिया में ही इस तरह की गड़बड़ी सामने आई कि न तो आधिकारिक रूप से भर्तियां हो पाईं और न ही भर्तियों को स्थगित करने के संबंध में कोई आदेश दिया गया. हालांकि अब सरकार की तरफ से करीब 20,000 पदों पर भर्ती किए जाने की घोषणा की गई है.
यह है अभ्यर्थियों का दर्द:इको गार्डन में पिछले 70 दिन से धरना दे रहे लखनऊ के चंदन ने बताया कि वह और उनके साथी 69000 शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया में शामिल हुए थे. 2018 में आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई. 2019 में परीक्षा कराई गई. जनवरी 2022 में चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी भी कर दी गई, लेकिन अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया है. जितना संघर्ष करना था हम कर चुके हैं, अब हमारा सब्र टूट रहा है.