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बीमा कंपनी को चूना लगाने का आरोप, कैशलेस इलाज के नाम पर एक करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाये - शिकायती पत्र समाचार

मुदिता ने बताया कि इन्हीं में से एक मेडिटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज का भी बीमा कंपनी के साथ अनुबंध है. आरोप है कि इस फर्म के एमडी गोपाल वर्मा ने बीते कुछ समय में 21 अस्पतालों के साथ षड्यंत्र रचा था.

हजरतगंज पुलिस
हजरतगंज पुलिस

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Published : Jul 11, 2022, 6:09 PM IST

लखनऊ : राजधानी में स्वास्थ्य बीमा के तहत कैशलेस इलाज करवाने के नाम पर फर्जी तरीके से अस्पतालों को एक करोड़ से अधिक का भुगतान कराने का मामला सामने आया है. बीमा कंपनी ने थर्ड पार्टी फर्म के खिलाफ न्यायालय के आदेश पर हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई है. हजरतगंज पुलिस के मुताबिक, मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है.


द ओरिएंटल बैंक की उप महाप्रबंधक मुदिता सिंह के मुताबिक, उनकी बीमा कंपनी स्वास्थ्य बीमा धारकों का कैशलेस इलाज करवाने व उनके दस्तावेजों के सत्यापन के लिए थर्ड पार्टी के साथ अनुबंध करती है. उन्होंने बताया कि जब कोई बीमा धारक किसी अस्पताल में इलाज के लिए बीमा की सुविधा चाहता है तब अस्पताल, थर्ड पार्टी (third party administrator) इलाज से पहले कैशलेस इलाज की अनुमति लेता है. जिसके बाद थर्ड पार्टी सभी दस्तावेजों का सत्यापन कर अनुमति देता है. जब इलाज पूरा हो जाता है तब बीमा कंपनी के खाते से खर्च हुई रकम को थर्ड पार्टी द्वारा ही अस्पताल के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है. यदि कैशलेस इलाज संभव नहीं होता है तो इलाज के बाद बीमा धारक के खाते में पैसे ट्रांसफर किये जाते हैं.

मुदिता ने बताया कि इन्हीं में से एक मेडिटेक ग्रुप ऑफ कंपनीज का भी बीमा कंपनी के साथ अनुबंध है. आरोप है कि इस फर्म के एमडी गोपाल वर्मा ने बीते कुछ समय में 21 अस्पतालों के साथ षड्यंत्र रचा था. इलाज के नाम पर बीमाधारकों की आईडी व फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई अस्पतालों व निजी खातों में 1 करोड़ 17 लाख 44 हजार 477 रुपये ट्रांसफर करवा लिए.

पीड़ित के मुताबिक, फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद उन्होंने हजरतगंज थाने में शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया था. पुलिस से मदद न मिलने पर उन्होंने कोर्ट की शरण ली और कोर्ट के आदेश पर थाने में रिपोर्ट दर्ज हो सकी है.

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वहीं हजरतगंज पुलिस के मुताबिक, एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. इस मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

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