उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

बाल संरक्षण आयोग व CWC की नूराकुश्ती के बीच अधर में लटका 39 बच्चों को भविष्य - राष्ट्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग

बाल अधिकार संरक्षण आयोग (child rights protection commission) का आरोप है कि रेस्क्यू किये गए बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार की योजनाओं से उन्हें जोड़ना है. इसके लिए बच्चों की फाइल चाहिए जो बाल कल्याण समिति दे नहीं रही.

Etv Bharat
बाल संरक्षण आयोग

By

Published : Aug 3, 2022, 7:36 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण व उनके भविष्य सुधारने वाली तो संस्थाएं आमने-सामने है. विवाद बाल मजदूरी कर रहे 39 बच्चों की फाइल को लेकर है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( Child Protection Commission) का आरोप है कि रेस्क्यू किये गए बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार की योजनाओं से उन्हें जोड़ना है. इसके लिए बच्चों की फाइल चाहिए जो बाल कल्याण समिति दे नहीं रही.

वहीं, बाल कल्याण समिति की माने तो आयोग किस हक से फाइल मांग रहा है, जबकि उन्हें मांगने का अधिकार ही नहीं है. ऐसे में दोनों संस्थाओं की नूराकुश्ती के बीच उन 39 बच्चों का हित होने से रुक रहा है, जिन्हें बाल मजदूरी से तो बचा लिया लेकिन उनके भविष्य अब अधर में लटक गया है.

रसअल, 16 जून से लेकर 22 जून तक एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट और श्रम विभाग ने संयुक्त रूप से ऑपरेशन चलाकर ऐसे 73 बच्चों को रेस्क्यू किया था, जिनसे जबरन या मजबूरी में बाल मजदूरी कराई जा रही थी. रेस्क्यू किये गए बच्चों को बाल गृह मोहान रोड में दाखिल कर दिया गया था.

इसे भी पढ़ेंःलखनऊ नगर निगम के कर्मचारी ही कर रहे थे गाड़ियों से डीजल की चोरी, 8 पर FIR

बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी के मुताबिक, वो 16 जुलाई को बाल गृह निरक्षण के लिए गयी थी. जहां उन्हें रेस्क्यू किए 73 बच्चों में 39 गायब मिले. जांच में पता चला कि उन बच्चों को बाल कल्याण समिति (CWC) ने उनके परिवार वालों को सौंप दिया था. सुचिता के मुताबिक ऐसे में जो बच्चे छोड़े जा चुके हैं, उनके भविष्य बनाने और सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए CWC से फाइल मांगी गई थी. एक महीने होने को आए हैं, कई बार पत्र लिखने के बाद भी फाइल आयोग या बाल गृह को नहीं भेजी जा रही है. इसके कारण बच्चों के साथ अन्याय हो रहा है. सुचिता के मुताबिक अधिकतर बच्चे सिर्फ बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के हस्ताक्षर से रिलीज किये जाते हैं, जबकि नियमानुसार CWC सदस्य का भी रिलीज पेपर्स में हस्ताक्षर होने चाहिए.

वहां बाल कल्याण समिति (CWC) अध्यक्ष रविंद्र सिंह जादौन का कहना है कि उन्होंने 39 बच्चों को उनके परिवार को लिखा-पढ़ी के साथ भेज दिया गया था. जिसकी रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकारी संरक्षण आयोग को भेज दी गयी थी. अब राज्य बल आयोग उनसे रिलीज किए गए बच्चों की फाइलें मांग रहा है. जबकि उसका अधिकारी नहीं बनता फाइल तलब करने का. जादौन के मुताबिक, बच्चों को न्यायायिक प्रक्रिया के तहत रिलीज किया गया था और न्यायिक प्रक्रिया में आयोग दखल नहीं कर सकता है.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति के बीच फाइलों को लेकर हो रहे विवाद के बीच समस्या उन 39 बच्चों को हो रही है, जिन्हे मजदूरी करने से रोक लिया गया, लेकिन उनके आगे का भविष्य सरकार की योजनाओं पर ही निर्भर है. बाल आयोग के मुताबिक, फाइल मिलने के बाद ही उन बच्चों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना सम्भव हो पायेगा.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details