लखनऊ: प्रदेश के सीतापुर, रायबरेली, लखीमपुर खीरी और हरदोई में चल रहे कानपुर विश्वविद्यालय के कॉलेजों को लखनऊ विश्वविद्यालय से जोड़ दिया गया. सरकार के इस फैसले से लखनऊ विश्वविद्यालय की कमाई तो कई गुना बढ़ गई लेकिन यह प्रयोग अब यहां के छात्र-छात्राओं और अभिभावकों के लिए महंगा साबित हो रहा है. उनकी जेब का बोझ कई गुना बढ़ गया. असल में, कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय का परीक्षा शुल्क 955 रुपए है. जबकि, लखनऊ विश्वविद्यालय में यह परीक्षा शुल्क 6000 रुपए है. अब छात्रों में इसको लेकर काफी तनाव है.
LU: 955 रुपये से सीधे 6 हजार हो गया परीक्षा शुल्क, छात्र बेहाल
लखनऊ विश्वविद्यालय में परीक्षा शुल्क 6000 रुपए है. वहीं कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में परीक्षा शुल्क केवल 955 रुपए है. लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों से छात्र परीक्षा शुल्क में इस बढ़ोतरी को लेकर परेशान हैं.
इस संबंध में उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित जागृति के अध्यक्ष आदर्श दीपक मिश्रा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए इन हालात में उच्च शिक्षा पाना भी मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र भेजकर इस प्रकरण में हस्तक्षेप करने की मांग की है. उत्तर प्रदेश शासन ने कुछ समय पहले कानपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्व चार जनपदों (हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, रायबरेली) की सम्बद्वता लखनऊ विश्वविद्यालय से कर दी थी.
कानपुर विश्वविद्यालय के छात्रों से परीक्षा शुल्क 955 रुपये के स्थान पर लखनऊ विश्वविद्यालय में 6 रुपये प्रति छात्र लिया जाएगा. चारों जनपदों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं प्रमुख रूप से ग्रामीण अंचल से जुड़े हैं. छात्रों तथा अभिभावकों के लिए परीक्षा शुल्क में इतना बड़ा अंतर परेशान करने वाला है. ऐसी स्थिति में सम्बद्व महाविद्यालयों का अस्तित्व खतरे में पड़ने की सम्भावना है.
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सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को एक जैसा शुल्क लिये जाने की मांग की जा रही है. एक जैसे शुल्क की अनुमन्यता से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओ के एकीकरण का भाव पैदा होने के साथ-साथ यह सामाजिक सामानता की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा.