लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के जीरो टॉलरेंस पर सवाल उठ रहे हैं. पिछले महीने स्वास्थ्य विभाग के ट्रांसफर में हुई गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया था. डिप्टी सीएम की तरफ से पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की गई थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद जांच कराई गई तो गड़बड़ी की पुष्टि हुई. सूत्रों के अनुसार, संबंधित बड़े अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई, लेकिन किसी के खिलाफ शासन स्तर पर कार्रवाई नहीं की गई, जबकि गड़बड़ी की पुष्टि के बाद सैकड़ों ट्रांसफर डॉक्टरों के निरस्त करके नई पोस्टिंग दी गई. जिसके बाद अब यह सवाल उठ रहे हैं कि सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद गड़बड़ी करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी?
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जून महीने में सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण करने को लेकर ट्रांसफर पॉलिसी जारी की थी, जिस के क्रम में स्वास्थ्य विभाग सहित तमाम विभागों में तबादले किए गए. स्वास्थ्य विभाग में स्थानांतरण नीति का पालन करते हुए बड़े पैमाने पर डॉक्टरों के इधर से उधर तबादले किए गए. पैरामेडिकल स्टाफ के भी भारी पैमाने पर ट्रांसफर किए गए जब ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर अनियमितता की बात सामने आई तो डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने पत्र लिखकर अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद से सवाल-जवाब किया. मामला आगे बढ़ता हुआ देखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर पर एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया.
जांच कमेटी ने अपनी जांच पूरी की और यह बात सामने आई कि विभाग में ट्रांसफर हुए हैं उनमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग में जो गड़बड़ी ट्रांसफर में हुई थी उसे सुधारने का काम शुरू किया गया. काफी संख्या में डॉक्टरों के स्थानांतरण निरस्त करते हुए उन्हें संशोधित किया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. सूत्र बताते हैं कि जांच कमेटी की रिपोर्ट में अमित मोहन प्रसाद सहित स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी दोषी पाए गए थे, ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के विपरीत अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है.