लखनऊ: अस्पतालों के वार्ड बुखार के मरीजों से भरे हुए हैं. इनमें स्क्रबटाइफस, लेप्टोस्पाइरोसिस डेंगू-मलेरिया की पुष्टि हो रही है. गुरुवार को प्रदेश में डेंगू (dengue in uttar pradesh) के 279 नए मरीज मिले. इसमें 14 लखनऊ के मरीज भी शामिल हैं. राज्यभर में हजारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं. इनकी डेंगू की जांच की जा रही हैं. घर-घर चल रहे सर्वे में गंभीर मरीजों को अस्पताल शिफ्ट किया जा रहा है.
स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितम्बर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं मंगलवार को 88 नए डेंगू के केस मिले. बुधवार को राज्य में 128 मरीज पाए गए. वहीं गुरुवार को मरीजों की संख्या 279 और बढ़ गयी. राज्य में अब डेंगू मरीजों की कुल संख्या 2444 से बढ़कर 2723 हो गयी.
संचारी रोग निदेशक मेजर डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक बारिश की समाप्ति के एक माह बाद तक डेंगू का खतरा रहता है. ऐसे में आशंका है कि नवंबर के पहले सप्ताह तक सतर्क ज्यादा रहना होगा. उधर पैर पसार रहे डेंगू को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है. अस्पतालों में इलाज की मुफ्त व्यवस्था की गई है. बुखार के मरीजों का घर-घर सर्वे किया जा रहा है.
- टाइप 1- सामान्य डेंगू- इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है। दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
- टाइप-2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर- इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं, जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
- टाइप-3- डेंगू शॉक सिंड्रोम- इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है, जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.