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प्रवेश फॉर्म के नाम पर लूट रहे डिग्री कॉलेज, जानिये क्या बोले स्टूडेंट्स

डिग्री कॉलेजों में इस समय दाखिले को लेकर होड़ मची हुई है. एफिलिएटेड कॉलेजों में आवेदन फॉर्म की फीस काफी ज्यादा होने के चलते छात्रों में खासा नाराजगी है.

ईटीवी भारत
लखनऊ विश्वविद्यालय

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Published : Jun 7, 2022, 9:44 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय समेत अन्य कॉलेजों में इस समय दाखिले को लेकर काफी दौड़ है. प्रवेश फॉर्म को लेकर इस समय शहर के कुछ कॉलेज चर्चा में बने हुए हैं. जो प्रवेश शुल्क के नाम पर लूट मचा रहे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय में यूजी और पीजी कोर्स की फीस 500 से 1200 के बीच में है. वहीं डिप्लोमा कोर्स की फीस 1600 रुपये है, लेकिन इससे अलग एफिलिएटेड कॉलेजों में आवेदन फॉर्म की फीस काफी ज्यादा है. लखनऊ के शिक्षाविद के अनुसार डिग्री कॉलेजों में यूनिवर्सिटी की तुलना में बहुत कम स्टूडेंट्स आवेदन करते हैं. ज्यादातर स्टूडेंट्स कोशिश करते हैं कि उनका यूनिवर्सिटी में दाखिला हो जाए. एक स्टूडेंट 12वीं के बाद कम से कम चार या पांच फॉर्म जरूर भरता है.

लखनऊ विश्वविद्यालय के डीन एडमिशन प्रो. वीके शर्मा ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय में यूपी कोर्सों के लिए सामान्य, ओबीसी वर्ग के स्टूडेंट के लिए 800 रुपये, एससी-एसटी वर्ग के लिए 400 रुपये आवेदन शुल्क है. इसी तरह प्रोफेशनल कोर्स का आवेदन शुल्क 1600 रुपये है. विश्वविद्यालय में एक लिमिटेड दाम रखा गया है ताकि किसी स्टूडेंट को फॉर्म भरने में दिक्कत न हो. कोरोना के मद्देनजर इस बार आवेदन शुल्क व फीस नहीं बढ़ाई गई है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला
लुआक्टा के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय समेत अन्य डिग्री कॉलेजों में प्रवेश को लेकर काफी लूट मची है. उन्होंने सीधे तौर पर लखनऊ विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रोफेशनल कोर्स के लिये मनमाने तरीके से आवेदन शुल्क लिया जा रहा है. आवेदन शुल्क इतना अधिक रहता है तो स्टूडेंट के पास विकल्प नहीं बचता है. इन कॉलेजों की फीस ज्यादा:लखनऊ के नामी डिग्री कॉलेज जैसे अवध डिग्री कॉलेज, करामत कॉलेज, केकेसी, नेशनल पीजी कॉलेज, आईटी कॉलेज की आवेदन फीस काफी अधिक है. इन कॉलेजों में स्नातक और परास्नातक की फीस 500 से 2000 के बीच में है. लुआक्टा के सदस्यों का कहना है कि इन कॉलेजों में काफी ज्यादा लूट मची है. आवेदन शुल्क कम करने की जरूरत है. ईटीवी भारत ने इस दौरान जब कुछ छात्रों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि एक स्टूडेंट 12वीं के बाद कई फॉर्म भरता है. अगर आवेदन फॉर्म का शुल्क कम होगा तो स्टूडेंट के पास फॉर्म भरने के मौके ज्यादा होंगे. कई बार हम चाह कर भी अन्य कॉलेजों का फॉर्म नहीं भर पाते हैं. क्योंकि उसका शुल्क अधिक होता है. ऐसे में राज्य सरकार को कुछ नियम बनाने चाहिए. जिससे आवेदन शुल्क पर रोक लग सके. इससे मानसिक तनाव भी बढ़ता है. ये भी पढ़ें : सोशल मीडिया पर छलका अनुदेशकों का दर्द, 27000 से ज्यादा हुए बेरोजगार

मानसिक तनाव में स्टूडेंट्स:स्टूडेंट्स ने बताया कि कई बार हम कोर्स और आवेदन शुल्क के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहे होते हैं. एक स्टूडेंट अपनी तरफ से कोशिश करता है कि उसका विश्वविद्यालय में दाखिला हो जाए और वह कम पैसों में कोर्स पूरा कर ले, लेकिन जब कोर्स की फीस इतनी ज्यादा रहेगी तो विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज में कोई अंतर नहीं रहेगा. विश्वविद्यालय में भी प्रोफेशनल कोर्सों की फीस काफी अधिक है. कई बार हम स्टूडेंट्स एक या दो फॉर्म ही भर पाते हैं, जबकि हमें मालूम होता है कि यहां पर कंप्टीशन ज्यादा है.

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