लखनऊ: DRDO ने पत्थरबाजों से निपटने के लिए भारतीय सेना के लिए एक वाहन तैयार किया है. तमाम खासियतों से लैस यह डेजलर व्हिकल पत्थरबाजों को पल भर में ही भागने पर मजबूर कर सकती है. यह व्हिकल पत्थर का जवाब लेजर से देती है और जैसे ही भीड़ पर इसका प्रहार होता है. प्रदर्शनकारी की आंखों के सामने पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है. इतनी देर में पुलिस को प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने का मौका मिल जाता है. इस व्हिकल की खासियत पर ही इसे 'मार्क्समैन' कार नाम दिया गया है.
जानकारी देते डीआरडीओ के वैज्ञानिक मनमोहन. महिंद्रा कंपनी ने डीआरडीओ के साथ मिलकर इस कार का निर्माण किया है. डिफेंस एक्सपो की प्रदर्शनी में यह मार्क्समैन कार लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. जल्द ही यह वाहन भारतीय सेना के हाथ में होगा. डीआरडीओ के साइंटिस्ट मनमोहन बताते हैं कि ये बुलेट प्रूफ व्हिकल है. इसके टायर भी बुलेट प्रूफ हैं. इसका इस्तेमाल उस जगह किया जाता है, जहां पर भीड़ अनियंत्रित हो चुकी हो.
लेजर स्पॉट से किया जाता है नियंत्रित
डीआरडीओ के साइंटिस्ट मनमोहन ने बताया कि पुलिस भीड़ पर लाठीचार्ज करती है. उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ती है या फिर वाटर कैनन का इस्तेमाल करती है. इससे लोगों को चोट लग जाती है. लोगों को बिना चोट पहुंचाए शांत करने का तरीका इस व्हिकल में है. इसमें लेजर का बहुत बड़ा स्पॉट बनता है और यह लोगों की आंखों पर पड़ेगा तो वे कुछ देर के लिए ब्लाइंड हो जाते हैं. इस बीच पुलिस को प्रदर्शनकारियों को पकड़ने का मौका मिल जाता है.
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अगर कोई उग्रवादी पेड़ों के पीछे या किसी कार के पीछे कहीं छुपा हुआ है. तो इस व्हिकल से उग्रवादी का पता लगाया जा सकता है. उसके ऊपर लेजर लाइट डालकर थोड़ी देर के लिए ब्लाइंड कर सकते हैं और फिर उसे आसानी से पकड़ा जा सकता है. साइंटिस्ट मनमोहन बताते हैं कि कश्मीर में इसके इस्तेमाल करने की इजाजत अभी नहीं दी गई है, लेकिन हमने उत्तरी कमान में अभी इसका प्रयोग के तौर पर प्रदर्शन किया है. यह मार्क्समैन कार महिंद्रा ने बनाई है और इसके अंदर और ऊपर सिस्टम डीआरडीओ ने बनाया है.