लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिस उम्मीद के साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने उम्मीदवारों को उतारा था, उन सभी उम्मीदवारों ने उनकी उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया. अब प्रियंका गांधी को अहसास हो गया है कि पार्टी से निष्कासित पुराने कांग्रेसियों के बिना उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करना आसान नहीं है. लिहाजा अब अनुशासन समिति की तरफ से ऐसे नेताओं की सूची तैयार की जाएगी, जिन नेताओं को छह साल तक पार्टी से निष्कासित किया गया है. दर्जनों की संख्या में ऐसे कांग्रेसी नेता शामिल हैं, जिन पर अब तक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा चुकी है. पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि जिन वामपंथियों के भरोसे उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा गया था. उनके भरोसे के चलते ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की लुटिया डूब गई है.
यूपी कांग्रेस का यूपी विधानसभा चुनाव में बुरा हाल हुआ है. 399 प्रत्याशियों में से 387 की जमानतें जब्त हुई हैं. सिर्फ दो प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए हैं. 10 प्रत्याशी किसी तरह अपनी इज्जत बचाने में सफल हुए हैं क्योंकि उनकी जमानत बच गई. कांग्रेस पार्टी का यूपी चुनाव में परफारमेंस दोयम दर्जे का रहा है. ऐसे में पार्टी के जिम्मेदार अब मानने लगे हैं कि जब तक पुराने नेता कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़े रहे थे, तब तक पार्टी की सरकार भले न बन पाई हो, लेकिन इतना बुरा हश्र कभी नहीं हुआ.
ऐसा कभी नहीं हो पाया कि पार्टी का मत प्रतिशत सिर्फ 2.33 ही रह जाए. साफ तौर पर पार्टी के नेता मान रहे हैं कि असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं की संख्या काफी ज्यादा हो गई है. जिन नेताओं को अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में लाकर छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया उनका निष्कासन ही पार्टी पर कहीं न कहीं भारी पड़ा है.
ऐसे में निष्कासन रद कर उनकी फिर से पार्टी में वापसी कराई जाए तभी पार्टी की स्थिति में कोई सुधार हो सकता है. ऐसे नेताओं का निष्कासन रद कर उन्हें बहाल किया जाएगा जो निष्कासन के बावजूद तटस्थ रहे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ कहीं कोई दुष्प्रचार नहीं किया. इस पर भी गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा कि निष्कासन के दौरान जिन नेताओं ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बोला होगा उनको बहाल न किया जाए.
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वामपंथियों ने कॉलेज इलेक्शन की तरह लड़ाया विधानसभा इलेक्शन
कांग्रेस पार्टी के नेता मानते हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लुटिया डूबने का अहम कारण वामपंथी हैं. जिस तरह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस में वामपंथियों ने कब्जा किया है और चुनाव को अपने तरीके से लड़ाया, उसी का परिणाम ये निकला है कि कांग्रेस पार्टी शिखर पर पहुंचने के बजाय मिट्टी में मिल गई है. कांग्रेस विधानसभा चुनाव कॉलेज के चुनाव के तरह लड़ी. इसी का नतीजा हुआ कि 2017 में 100 सीटों पर लड़कर सात सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी 2022 में 399 सीटों पर लड़कर सिर्फ दो सीटें जीत पाई.
387 प्रत्याशी अपनी इज्जत भी नहीं बचा पाए. नेता ये भी कहते हैं कि इन्हीं वामपंथियों के चलते ही सात विधायकों में चार विधायक 2022 से पहले पार्टी ही छोड़ कर चले गए. सिर्फ तीन विधायक ही कांग्रेस पार्टी के पास बचे थे. इस चुनाव में दो विधायक ही विधानसभा में कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए मौजूद होंगे.
अनुशासन समिति का दिल्ली से बनाया जाता है दबाव
अनुशासन समिति ने उत्तर प्रदेश के तमाम नेताओं पर अब तक निष्कासन की गाज गिराई है. हालांकि उत्तर प्रदेश की अनुशासन समिति से जुड़े पदाधिकारी कांग्रेस नेताओं को निष्कासित करने से पहले उनसे विचार-विमर्श करने की राय रखना चाहते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई ही नहीं होती है. दिल्ली से निष्कासन को लेकर दबाव बनाया जाता है. इसके बाद अनुशासन समिति के जिम्मेदारों की मजबूरी बन जाती है कि न चाहते हुए भी वे निष्कासन की कार्रवाई करें.
एआईसीसी मेंबर पर यूपीसीसी की कार्रवाई पर सवाल
हाल ही में कांग्रेस के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और उर्दू मीडिया के संयोजक जीशान हैदर पर निष्कासन की कार्रवाई की गई. छह साल तक के लिए उन्हें पार्टी से निष्कासित किया गया. इसके बाद कई सवाल उठे. कहा गया कि जो एआईसीसी का सदस्य होता है उसे यूपीसीसी की अनुशासन समिति निकाल ही नहीं सकती है. यह उसके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं आता है लेकिन ऐसे सदस्यों पर भी यूपीसीसी की तरफ से निष्कासन की कार्रवाई हो रही है.
ईटीवी भारत ने जब अनुशासन समिति के जिम्मेदारों से इस बात को लेकर जानकारी हासिल की तो वह भी मानते हैं कि यूपीसीसी की अनुशासन समिति की तरफ से एआईसीसी मेंबर का निष्कासन नहीं किया जा सकता है. ऐसा नियम भी नहीं है, लेकिन दिल्ली के दबाव के चलते मजबूरन ऐसा करना पड़ता है.
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