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"हाथी" वाले देंगे अब "हाथ" को मजबूती, हाईकमान के कदम से कांग्रेसियों की उम्मीद टूटी

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress in Uttar Pradesh) को अध्यक्ष देने में तकरीबन 200 दिन का समय लगा. कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि हाईकमान वक्त ले रहा है तो किसी कमाल के नेता को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपेगा, लेकिन जब टीम घोषित हुई तो कांग्रेसियों की उम्मीदें टूट सी गईं.

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Published : Oct 1, 2022, 11:20 PM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress in Uttar Pradesh) को अध्यक्ष देने में तकरीबन 200 दिन का समय लगा. कांग्रेसियों को उम्मीद थी कि हाईकमान वक्त ले रहा है तो किसी कमाल के नेता को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपेगा, लेकिन जब टीम घोषित हुई तो कांग्रेसियों की उम्मीदें टूट सी गईं. पार्टी ने मूल कांग्रेसी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने के बजाय पल्ला झाड़ लिया. दूसरी पार्टी से आए नेताओं को भरपूर अहमियत दी. कप्तान के रूप में जहां बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस पार्टी में आए बृजलाल खाबरी को कमान सौंपी तो टीम भी ऐसी दी जो बसपा माइंडेड है. पार्टी ने प्रदेश की इस टीम में सिर्फ एक मूल कांग्रेसी को जगह दी. पार्टी के प्रभारी प्रशासन योगेश दीक्षित को छोड़ दिया जाए तो सारे नेता बसपा, भाजपा और सपा का चक्कर काटते हुए कांग्रेस में आए हैं. अब इन्हीं "हाथी" वालों को "हाथ" को मजबूत करने की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंपी है. अब 2024 का नतीजा पार्टी के पक्ष में लाने का जिम्मा इन्हीं के कंधों पर है.

कांग्रेस पार्टी ने बृजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है. पहली बार ऐसा हुआ है कि पार्टी ने अध्यक्ष के सहयोग के लिए टीम भी साथ ही गठित कर दी. कप्तान बृजलाल खाबरी का साथ देने के लिए उनकी टीम में प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बहुजन समाज पार्टी से ही कांग्रेस में आए वर्तमान विधायक वीरेंद्र चौधरी, बसपा से ही कांग्रेस में दस्तक देने वाले नकुल दुबे और बहुजन समाज पार्टी से ही ताल्लुक रख चुके इटावा के अनिल यादव शामिल हैं, वहीं बात अगर इस टीम में बहुजन समाज पार्टी से हटकर करें तो अजय राय को भी पार्टी ने प्रांतीय अध्यक्ष बनाया है, लेकिन उनके भी राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलाने से हुई फिर वह समाजवादी पार्टी की साइकिल चलाने पहुंचे और फिर कांग्रेस का हाथ मजबूत करने पार्टी में आए. राजनीति में अच्छे से छाए. अब बात करें इस टीम में एकमात्र ऐसे नेता की जिनका राजनीतिक करियर कांग्रेस में शुरू हुआ और यहीं से उन्हें पहचान मिली. यह नेता हैं योगेश दीक्षित. पार्टी ने योगेश को भी प्रांतीय अध्यक्ष की टीम में जगह दी है. यह अलग बात है कि पार्टी ने नामों की जो सूची जारी की वहां सबसे निचले क्रम में नाम योगेश दीक्षित को ही रखा है. कहने का सीधा सा मतलब है कि पार्टी ने न तो प्रदेश की टीम में कांग्रेसियों को अहमियत दी और न ही जो नामों की सूची जारी की उसके क्रम में ही कांग्रेस को बेहतर स्थान दिया.

बृजलाल खाबरी

बृजलाल खाबरी :उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कप्तान बने बृजलाल खबरी 1999 में बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़े और जालौन से सांसद चुने गए. हालांकि अगला चुनाव फिर से जब वे बसपा से लड़े तो जीत नहीं मिली, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. तकरीबन 17 साल तक बसपा के हाथी को दौड़ाने में जी जान लगाने वाले खबरी 2016 में कांग्रेस में शामिल हो गए. छह साल पार्टी में रहकर उन्होंने ऐसा छक्का मारा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बन गए.

नसीमुद्दीन सिद्दीकी



नसीमुद्दीन सिद्दीकी :बृजलाल खाबरी की टीम में शामिल बहुजन समाज पार्टी के बड़े चेहरे रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी कभी मायावती के बेहद करीबी रहे थे, लेकिन आज प्रियंका गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं. कांग्रेस में भी उनका कद लगातार बढ़ रहा है. मायावती से बेहद अच्छे ताल्लुक रखने वाले उनकी सरकार में कद्दावर मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को जब बसपा सुप्रीमो ने तगड़ा झटका दिया तो उन्होंने हाथी से उतरकर हाथ थाम लिया. 2018 में बहुजन समाज पार्टी को छोड़ कांग्रेस के दरबार में दस्तक दी.

नकुल दुबे

नकुल दुबे : बहुजन समाज पार्टी की जब उत्तर प्रदेश में सरकार बनी तो मायावती का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाले बसपा के नेताओं में एक नेता थे नकुल दुबे. लखनऊ की महोना विधानसभा सीट से विधायक बने. मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए. मायावती नकुल दुबे पर विश्वास भी करती थीं. बसपा सुप्रीमो ने उन्हें सिर्फ विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ाया बल्कि 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव भी लड़ाया, लेकिन एक चुनाव ही अब तक जीत पाने में नकुल दुबे सफल हुए. ज्यादा दिन तक मायावती नकुल को सहन नहीं कर सकीं. अब नकुल दुबे मायावती को छोड़कर कांग्रेस की प्रियंका गांधी के साथ कदमताल कर रहे हैं.

वीरेंद्र चौधरी



वीरेंद्र चौधरी :वर्तमान में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की बात करें तो पार्टी के सिर्फ दो ही विधायक हैं. उनमें से एक है वीरेंद्र चौधरी. उन्होंने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की उम्मीदों को जिंदा रखा है. विधायक बनने का ही प्रतिफल उन्हें प्रांतीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी से मिला है. हालांकि वीरेंद्र चौधरी भी विशुद्ध कांग्रेसी नहीं हैं. उनका भी तालुक बहुजन समाज पार्टी से रहा है. वीरेंद्र चौधरी तीन बार बसपा से और दो बार कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं. हाथी पर सवार होकर वे कामयाब नहीं हुए, लेकिन हाथ ने उनका साथ दिया और वह सदन पहुंचने में सफल हुए. फरेंदा विधानसभा सीट पर इस बार उन्हें जीत मिली.

अनिल यादव

अनिल यादव :पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष बनाए गए अनिल यादव 1999 से कांग्रेस से जुड़े. अनिल यादव इससे पहले 1990 में इटावा लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. 2002 में कांग्रेस के टिकट पर जसवंतनगर विधानसभा से चुनाव लड़ा. 2007 से लेकर 2008 तक पार्टी के जिलाध्यक्ष पद पर तैनात रहे. कहने का मतलब है कि अनिल यादव भी बहुजन समाज पार्टी से ही कांग्रेस में प्रवेश करने वाले नेता हैं.

अजय राय


अजय राय : कांग्रेस पार्टी में नेता के रूप में अजय राय को बहुत महत्व दिया जाता है. पार्टी ने राय को अहमियत देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ाया. हालांकि जीत उनसे कोसों दूर रही, लेकिन अजय राय पांच बार विधायक जरूर रह चुके हैं. अब पार्टी ने उन्हें प्रांतीय अध्यक्ष बनाया है, लेकिन अजय राय भी कांग्रेस में ही पैदा होकर यहां तक नहीं पहुंचे हैं, बल्कि उन्होंने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी और इसके बाद वे समाजवादी पार्टी से होते हुए कांग्रेस का दरवाजा खटखटाने आए थे. अब कांग्रेस ने उन्हें और भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.

योगेश दीक्षित




योगेश दीक्षित : कांग्रेस की प्रदेश टीम की अगर बात करें तो इस टीम में एकमात्र ऐसा चेहरा हैं जिस पर कांग्रेसी विश्वास करते हैं. जो कांग्रेस की शुद्ध विचारधारा के नेता हैं. योगेश कांग्रेस में पले, बढ़े और यहां तक पहुंचे हैं. किसी भी परिस्थिति में उन्होंने हाथ का साथ नहीं छोड़ा. आज भी वह हाथ को ही थामे हुए हैं. राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं और अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं. शायद इसी के चलते पार्टी ने एकमात्र कांग्रेसी नेता के रूप में उन्हें प्रांतीय अध्यक्ष जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है.

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फिलहाल, कप्तान बृजलाल खाबरी अपने छह बल्लेबाजों के साथ 2024 में चुनावी पिच पर कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए मैदान में उतरेंगे. अब यह देखना होगा कि कप्तान अपने छह साथियों की टीम के साथ छक्का लगाने में कामयाब होते हैं या फिर जीरो पर ही आउट हो जाते हैं.

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