उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

मौत की सजा पाए बंदियों को पैरोल पर छोड़ने का मामला, हाईकोर्ट में मुख्य सचिव एक घंटे में हुए पेश

सोमवार को मौत की सजा पाए बंदियों को पैरोल पर छोड़ने का मामला सुर्खियों में रहा. इस मामले में हाईकोर्ट में मुख्य सचिव एक घंटे में हुए पेश होना पड़ा.

chief secretary appears before high court
chief secretary appears before high court

By

Published : Dec 20, 2021, 8:40 PM IST

लखनऊ: मौत की सजा पाए बंदियों को पैरोल पर छोड़ने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की सख्ती के बाद मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी (Chief Secretary Rajendra Kumar Tiwari) को एक घंटे में कोर्ट में हाजिर होना पड़ा. न्यायालय ने मुख्य सचिव के शपथ पत्र पर असंतोष जाहिर करते हुए, उन्हें तीन बजे कोर्ट में हाजिर होने को कहा था.


यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने कृष्ण मुरारी उर्फ मुरली, राघव राम, काशी राम व राम मिलन की अपीलों पर पारित किया. सभी अपीलकर्ताओं को हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट से मृत्यु की सजा मिली हुई है. इस सजा के विरुद्ध उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की है. न्यायालय के पिछले आदेश के अनुपालन में मुख्य सचिव ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया था. इसमें कहा गया था कि अपीलकर्ताओं को सर्वोच्च न्यायालय के कोरोना महामारी को देखते हुए दिए हुए आदेशों के अनुपालन में पैरोल पर रिहा किया गया था.

ये भी पढ़ें- सुलतानपुर की इन तीन 'देवियों' ने अबलाओं को बनाया सबला, प्रयागराज में होगी पीएम मोदी से सीधे-संवाद

न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सात साल तक की सजा के बंदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था, जबकि वर्तमान अपीलकर्ता मृत्यु की सजा पा चुके हैं. इस टिप्पणी के साथ न्यायालय ने मुख्य सचिव को 3 बजे तक अदालत में पेश होने को कहा था. तीन बजे न्यायालय के समक्ष हाजिर हुए मुख्य सचिव को तीन सप्ताह में मामले की जांच करवाने के आदेश दिए गए है. कोर्ट ने पूछा है कि मौत की सजा पाए बंदियों को पैरोल पर कैसे रिहा कर दिया गया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details