लखनऊ : कांग्रेस ने जिस भरोसे के साथ 25 साल बाद यूपी की जिम्मेदारी दलित नेता के हाथों सौंपी उसी को कायम रखने के लिये नये प्रदेश अध्यक्ष ब्रजलाल खाबरी ने दो टूक कहा है कि 'न कभी झुकेंगे न कभी डरेंगे, डटकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे'. हालांकि खाबरी को बीजेपी से पहले अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से लड़ना पड़ सकता है. पार्टी के पुराने नेताओं में खांटी कांग्रेसी के बजाए महज छह साल पहले पार्टी ज्वाइन करने वाले नेता को अध्यक्ष बनाए जाने पर अंदरखाने में नाराजगी जोरों पर है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यूपी में ब्रजलाल खाबरी की राह आसान नहीं रहने वाली है, उनके सामने चुनौतियों का अंबार लगा है. नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सामने पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेताओं को एकजुट करने के साथ ही भाजपा, सपा और बसपा के रूप में मजबूत प्रतिद्वंदियों से निपटना आसान नहीं होगा. आइए जानते हैं कि कांग्रेस के नये प्रदेश अध्यक्ष के सामने क्या चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाये बिना वह यूपी में कांग्रेस पार्टी को खोया जनाधार वापस दिलाने में सफल नहीं होंगे.
उत्तर प्रदेश में किसी दौर में भारतीय जनता पार्टी, सपा और बसपा के बाद कांग्रेस का नंबर आता था, लेकिन विधानसभा चुनाव 2022 (assembly election 2022) में क्षेत्रीय दलों अपना दल (स), निषाद पार्टी व सुभासपा ने भी कांग्रेस को पछाड़ दिया है. ऐसे में पार्टी को सातवें नंबर से ऊपर लाना नये प्रदेश अध्यक्ष खाबरी के सामने बड़ी चुनौती है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi) को छोड़ दें तो 2022 के विधानसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका काफी सुस्त रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान बुंदेलखंड में ब्रजलाल खाबरी की सक्रियता को देखते हुए उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब देखना दिलचस्प होगा कि वह कितनी मजूबती से यूपी में कांग्रेस को आगे बढ़ाने के साथ ही पार्टी को लाइम लाइट में रख पाएंगे.
उत्तर प्रदेश में हर चुनाव में फिर चाहे विधानसभा हो या लोकसभा, कांग्रेस का ग्राफ घटा है. जिसके चलते सूबे में कांग्रेस लंबे समय से बेहतर प्रदर्शन करने को बेताब है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया, लेकिन चुनाव परिणाम अपेक्षित नहीं रहे. 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए किसी बुरे स्वपन से कम नहीं रहे व 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के लाख दांव-पेंच के बाद भी कांग्रेस महज दो सीटों तक सिमट कर रह गई. अब ब्रजलाल खाबरी के सामने फिर से कांग्रेस का खोया हुआ जनाधार वापस दिलाना किसी चुनौती से कम नहीं है.