लखनऊ : योगी सरकार ने राज्य कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है. उनके वर्षों से लंबित कैशलेस इलाज मुहैया कराने की मुराद पूरी हो गई है. शुक्रवार को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने योजना लागू करने का आदेश जारी कर दिया है. आयुष्मान कार्ड की तर्ज पर लाभार्थियों के स्टेट हेल्थ कार्ड बनेंगे.
यूपी में करीब 20 लाख राज्य कर्मचारी व पेंशनर्स हैं. वहीं, पारिवारिक सदस्य मिलाकर 88 लाख के लगभग हैं. बड़ी तादाद होने के बावजूद अभी तक इन्हें 'कैशलेस इलाज' का लाभ नहीं मिल रहा था. ऐसे में इलाज के बिलों के रिम्बर्समेंट के लिए कर्मियों को विभाग, अस्पताल व सीएमओ दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते थे. बिलों में कटौती को लेकर अक्सर विवाद छाए रहते हैं. लिहाजा, कर्मचारी संगठनों ने कैशलेस इलाज को लेकर पांच वर्ष पहले हुंकार भरी थी. इसके बाद तत्कालीन सरकार ने वर्ष 2016 में कर्मियों के कैशलेस कार्ड बनवाए. लेकिन भारी बजट के अंदेशे को लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
निजी अस्पताल में 5 लाख तक का इलाज :कर्मचारी का स्टेट हेल्थ कार्ड व योजना का क्रियान्वयन सरकारी एजेंसी साची द्वारा होगा. इसके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज, संस्थानों के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को 200 करोड़ का कार्पस फंड मिलेगा. वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग को 100 करोड़ का फंड मिलेगा. इससे कर्मियों को अस्पतालों में मुफ्त इलाज मिल सकेगा. वहीं, निजी अस्पताल में 5 लाख रुपये तक का इलाज करा सकेंगे. यह अस्पताल आयुष्मान योजना से संबद्ध होंगे.
बीमारियों के तय हैं पैकेज :आयुष्मान योजना में बीमारियों के पैकेज तय हैं. इसके तहत ही अस्पताल इलाज का पैसा काट सकेंगे. अनाप-शनाप बिलिंग नहीं हो सकेगी. कर्मी को भी इलाज के बिलों की रिम्बर्समेंट के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे. आयुष्मान में अभी करीब 1574 पैकेज हैं. इसमें ट्रांसप्लांट योजना अभी शामिल नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री ने किडनी व कार्नियल ट्रांसप्लांट जोड़ने के निर्देश दिए हैं.