लखनऊ : महामंत्री संगठन के पद पर हुए बदलाव के बाद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को कभी भी नया अध्यक्ष मिल सकता है. केंद्रीय स्तर पर नामों पर चर्चा अब अंतिम दौर में है. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के किसी कद्दावर ब्राह्मण नेता को भाजपा का नया अध्यक्ष घोषित किया जा सकता है. वहीं कुछ विशेषज्ञ भी मानते हैं कि दलित समाज से जुड़े किसी नेता को प्रदेश में भाजपा की जिम्मेदारी दी जा सकती है. कुल मिलाकर आने वाले 48 घंटे उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के मिशन 2024 के लिए अति महत्वपूर्ण होंगे.
महामंत्री संगठन के पद पर पिछड़े वर्ग के नेता को लाकर भारतीय जनता पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष पिछड़े वर्ग से नहीं होगा. कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पिछड़े समाज से ही हैं. इसके अलावा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को भी विधान परिषद में सत्ताधारी दल के नेता की तौर पर मान्यता देने के बाद पिछड़े समाज के बीच में भाजपा ने एक और सकारात्मक संदेश दे दिया है. ऐसे में भाजपा इस बार अध्यक्ष पद के लिए किसी ब्राह्मण पर दांव खेल सकती है. भारतीय जनता पार्टी के अंतिम प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे थे, जो ब्राह्मण थे. महेंद्र नाथ पूर्वांचल की चंदौली सीट से सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं. उनके बाद में भाजपा ने पिछले लगातार तीन कार्यकाल से कुर्मी समाज से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह को ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हुई थी.
इस बार दो ब्राह्मण नेताओं को मजबूत माना जा रहा है. जिसमें मुख्य रूप से कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक का नाम सामने आ रहा है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मेरठ के रहने वाले लक्ष्मीकांत बाजपेई को लेकर भी कयासों का बाजार गर्म है. इसके अतिरिक्त अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम के नाम की भी चर्चा की जाती रही है. पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश कुमार शर्मा का भी नाम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के लिए लिया जाता रहा है.