लखनऊ : पिछले करीब तीन महीने से भारतीय जनता पार्टी का संविधान ताक पर रख दिया गया है. एक व्यक्ति एक पद का जो सिद्धांत भारतीय जनता पार्टी अपने संविधान में लेकर चल रही है उसका पालन नहीं किया जा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष के पास जहां तीन पद हैं, वहीं दो उपाध्यक्ष और एक महामंत्री को दो पदों का लाभ मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व अब तक अपने संगठन का पुनर्गठन नहीं कर सका है. जिससे यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी अब तक नहीं तय कर पाई है कि उसका नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा.
योगी आदित्यनाथ की दूसरी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह मार्च के अंतिम सप्ताह में हुआ था. करीब चार महीने बीतने को आ रहे हैं, लेकिन मंत्री बने नेताओं को संगठन के पदों से नहीं हटाया गया है. वे मंत्री भी बने हुए हैं और संगठन में भी हैं. जबकि भारतीय जनता पार्टी का संविधान यह कहता है कि एक व्यक्ति के पास एक ही पद हो सकता है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. इसके बावजूद वे पद पर बने हुए हैं. प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही उनके पास जल शक्ति मंत्री और विधान परिषद में नेता सत्ताधारी दल का भी पद है.
इसके अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह परिवहन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं और एक अन्य उपाध्यक्ष एके शर्मा के पास ऊर्जा मंत्रालय और नगर विकास विभाग है. कम से कम यह तीन नेता बड़े पदों पर बने हुए हैं और साथ ही संगठन में भी शामिल हैं. इसके अलावा पार्टी एक प्रदेश महामंत्री जेपी एस राठौर सहकारिता मंत्री हैं.