लखनऊ: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह पहले नाम के आगे चौधरी लगाते रहे हैं. लेकिन, अब वह चौधरी का उपयोग नहीं कर रहे हैं. भाजपा की ओर से मीडिया में उनका नाम केवल भूपेंद्र सिंह के नाम से जारी हो रहा है. जबकि, ट्विटर पर भूपेंद्र सिंह चौधरी नाम कायम है. दूसरी ओर हाल ही में बनाए गए फेसबुक पर वेरिफाइड अकाउंट में उनका नाम भूपेंद्र सिंह के ही नाम से दर्ज है. लगातार वे नाम से पहले चौधरी शब्द का इस्तेमाल कम करते जा रहे हैं. इसके जरिए वे पश्चिम से लेकर पूर्व तक सर्वमान्य नेता बनने की कवायद में लगे हुए हैं.
उत्तर प्रदेश में करीब 15 लोकसभा सीटों पर जाट बहुत महत्वपूर्ण हैं. उत्तर प्रदेश में भले ही जाटों की संख्या 2 प्रतिशत हो, लेकिन इन 15 सीटों पर जाट 15 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं. इसमें भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल करनी है. बीजेपी के पास पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट नेता हैं. लेकिन, अध्यक्ष बना देना एक अलग बात होगी. अध्यक्ष खुद लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा. लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के लिए जाट वोटों का ध्रुवीकरण जरूर होगा. बिजनौर, बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, नगीना, सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा में जाट बहुत अहम हैं.
दूसरी ओर एक अन्य सोच यह भी है कि किस तरह से भूपेंद्र सिंह के केवल जाटों का नेता होने का तमगा उनके ऊपर से हटाया जाए. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें सलाह दी है कि अब वे कम से कम चौधरी शब्द का उपयोग करें. ताकि, उनकी पहचान केवल जाट नेता की ही न रह जाए.