लखनऊ : खेल मंत्री यह नहीं बता सके कि गांवों के मैदान में कौन-कौन से खेल होंगे. जलशक्ति मंत्री नहीं बता सके कि घाटमपुर की नहर कितने सालों से सूखी है जबकि परिवहन मंत्री ओवरलोड वाहनों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है, इस पर उचित उत्तर नहीं दे सके. कुछ इसी तरह से विधान परिषद में मंत्री विपक्ष के निशाने पर आ रहे हैं. इससे सरकार की किरकिरी लगातार हो रही है. विपक्ष कह रहा है कि सरकार के पास किसी बात का जवाब नहीं है जबकि भाजपा का कहना है कि हम जो भी कह दें, कुछ भी कर दें, विपक्ष को तो हर मुद्दे पर विरोध ही करना है. कुल मिलाकर पक्ष और विपक्ष के बीच सवाल उस नौकरशाही पर भी है जो प्रश्नों का जवाब देने में गलतियां कर रही है.
विधान परिषद की व्यवस्था के तहत जो भी सवाल सदन में किसी सदस्य को सरकार से पूछना होता है, उसे कुछ समय पहले परिषद सचिवालय को उपलब्ध कराना होता है. यह सवाल संबंधित विभाग में जाता है जहां से विभाग सवाल का जवाब बनाकर वापस सचिवालय को भेजता है. सचिवालय जवाब को मंत्री को उपलब्ध कराता है. मंत्री अपनी बारी आने पर सदन में इस जवाब को प्रस्तुत करता है. मंत्री के दिए गए जवाब पर बहस होती है और उसी पर कोई ना कोई व्यवस्था सभापति देते हैं. ऐसे ही सवालों और जवाबों के सिलसिले इन दिनों विधान परिषद में चल रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर समाजवादी पार्टी के सदस्य नरेश उत्तम ने शुक्रवार को घाटमपुर में धर्मपुर रजवाहे को लेकर सवाल पूछा. इस पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने जवाब दिया कि रजवाहे में पानी पहुंच रहा है. नरेश उत्तम ने कहा कि वह 3 साल से देख रहे हैं कि इस रजवाहे में पानी नहीं आया. यह उनका ही गांव है. जिस पर स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि वे इस मामले का परीक्षण करा लेंगे. मगर वास्तविकता यह रही कि यह सवाल का जवाब गलत आया था. मौके पर जो स्थितियां थीं वह सत्यता के साथ विपक्ष को अवगत नहीं कराई गई थी.