लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (bharty janta party) की केंद्र राज्य सरकारों ने प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किए हैं. भाजपा इन कार्यों को चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दे से जोड़कर अपनी सफलता के रूप में दिखाएगी. पार्टी को लगता है कि उसने धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में साढ़े पांच साल में जो काम किए हैं, उतने काम पिछले पचास साल में भी नहीं हुए हैं. अयोध्या और काशी ही नहीं, प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चित्रकूट, विन्ध्याचल, नैमिषारण्य और मथुरा आदि में हिंदुओं की आस्था केंद्रों में खूब विकास की गंगा बहाई. राजनीतिक दल जो भी करते हैं, उसके बदले उन्हें वोट की आकांक्षा तो होती ही है. ऐसे में 2024 के लोक सभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा इन स्थानों के विकास का श्रेय जरूर लेना चाहेगी.
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किस हद तक प्रयासरत है, इसका अंदाजा सरकार के बजट आवंटन से ही लगाया जा सकता है. वर्ष 2017-18 में धर्मार्थ कार्य विभाग ने धार्मिक स्थलों के विकास के लिए लगभग बत्तीस करोड़ रुपये खर्च किए थे. वहीं 2021-22 के वित्तीय वर्ष में यह बजट कई गुना बढ़कर लगभग 615 करोड़ रुपये पहुंच गया. अगला बजट एक हजार करोड़ का होने का अनुमान है. स्वाभाविक है कि भाजपा हिंदू धर्म और संस्कृति के विकास और संरक्षण के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
यही बुंदेलखंड में फैली हिंदू राजाओं की विरासतों को सहेजने के लिए भी सरकार काफी कदम उठा रही है. सरकार चाहती है कि इन केंद्रों का विकास कर रोजगार के अवसर तो पैदा किए ही जाएं, साथ ही अपनी धर्म और संस्कृति का संरक्षण भी होता रहे. सरकार ने धार्मिक पर्यटन वाले क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं पर बहुत ध्यान दिया है. बनारस और मीर्जापुर में विश्वस्तरीय सड़कों का निर्माण किया गया है. प्रदेश में कई स्थानों पर रोपवे को अनुमति दी है, तो मंदिरों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाने के लिए सूचीबद्ध किया जा रहा है. जल पर्यटन के क्षेत्र में भी सरकार ने अच्छा काम किया है. गोरखपुर के रामगढ़ताल और वाराणसी में गंगा में क्रूज चलाए जाने की तैयारी है.