लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर डोरे डाल रही है. अपना सियासी भविष्य संवारने को लेकर भी सपा के कई बड़े नेता भाजपा के संपर्क में हैं और लगातार बातचीत चल रही है. समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आने वाले नेता अपना सियासी भविष्य सुरक्षित रखने के साथ-साथ कोई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो लेने को लेकर बातचीत कर रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि अगले 6 महीने में सपा के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां अपने संगठन को पूरी तरह से दुरुस्त करने पर ध्यान दे रही है. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के कई नेताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी से जुड़े उच्च स्तरीय सूत्रों ने कहा कि सपा के करीब पांच छह नेताओं पर बीजेपी की नजर है और उनसे बातचीत भी चल रही है.
जानकारी देते संवाददाता धीरज त्रिपाठी सपा के करीब आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं को प्रलोभन देकर भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले कभी भी अपने साथ जोड़ सकती है और उन्हें बकायदा कोई बड़ी जिम्मेदारी भी दे सकती है. बुंदेलखंड से लेकर पूर्वांचल तक कई ऐसे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिनकी अपनी पकड़ और पहुंच समाज के अपने लोगों तक है. ऐसे में बीजेपी सपा के वरिष्ठ नेताओं को समाजवादी पार्टी से तोड़कर अपने पाले में लाने के लिए पूरी तरह से प्लानिंग कर रही है. जिसका फायदा भाजपा को लोकसभा चुनाव में हो सकेगा.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि हम लोकसभा चुनाव से पहले सपा के कई वरिष्ठ नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की रणनीति बना रहे हैं और इसको लेकर पार्टी स्तर और उनके करीबी नेताओं से बातचीत हो रही है. इन नेताओं के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से स्वाभाविक रूप से पार्टी और मजबूत होगी और समाजवादी पार्टी को इससे काफी नुकसान हो सकता है. क्योंकि जिन नेताओं से संपर्क और संवाद किया जा रहा है इनकी अपनी क्षेत्र और समाज के बीच अच्छी पकड़ और पहुंच है.
उच्च स्तरीय सूत्रों के अनुसार, सपा में विधानसभा चुनाव से पहले गए स्वामी प्रसाद मौर्य को भी वापस लाने की तैयारी की जा रही है. जिससे लोकसभा चुनाव में मौर्य बिरादरी का पूरा वोट भारतीय जनता पार्टी प्राप्त कर सके. इसके अलावा समाजवादी पार्टी में बीजेपी से गए धर्म सिंह सैनी का नाम प्रमुख रूप से शामिल है. इसके अलावा पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, ओमप्रकाश सिंह, पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह, पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह के नाम भी शामिल हैं. इसके अलावा पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज का नाम बताया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी इन नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में कोई जिम्मेदारी देकर या 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कोई बड़ा सियासी एडजस्टमेंट करने को लेकर वादा करते हुए अपने साथ जोड़ सकती है.
सपा प्रवक्ता मनीष सिंह कहते हैं कि भाजपा को सबसे पहले समाजवादी पार्टी की राजनीतिक विचारधारा को समझना होगा. हमारे नेता अखिलेश यादव प्रोग्रेसिव पॉजिटिव डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स के लिए जाने जाते हैं. जहां तक हमारी बुनियाद का सवाल है जो समाजवादी विचारक रहे हैं, जिन्होंने ख्याति प्राप्त की है उन्होंने दबे कुचले वंचित लोगों को न्याय दिलाने के लिए काम किया है. डॉक्टर लोहिया संविधान के जनक डॉ. अंबेडकर ने लोगों को न्याय दिलाने का काम किया है. अखिलेश यादव शोषित वंचित नौजवानों को सशक्त बनाने को लेकर डेमोक्रेटिक और पॉजिटिव पॉलिटिक्स स्थापित करके बीजेपी को मुंहतोड़ जवाब दिया है.
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21वीं सदी की राजनीति में अखिलेश यादव ने समाजवाद को सशक्त बनाया है. 2022 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की महान जनता ने अखिलेश यादव को आशीर्वाद दिया 36 फीसद से अधिक वोट मिला है. जहां तक नेताओं के टूटने का सवाल है तो भारतीय जनता पार्टी इस बारे में सोचना छोड़ दे. जहां तक हमारे वोटरों का सवाल है तो भाजपा हमारे वोटरों की संख्या कम नहीं कर पाएगी. 2024 में जो परिवर्तन अखिलेश यादव भाजपा के खिलाफ करने जा रहे हैं देश और दुनिया की राजनीति के सामने नजीर पेश होगी. भाजपा अब अपना कुनबा बचाने का प्रयास करे.
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