लखनऊ : देश में डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है. इस बीमारी की जद में सभी आयु वर्ग के लोग हैं. मगर, गर्भवती महिलाओं में यह बीमारी शिशु पर भारी पड़ रही है. जन्म के तीन माह तक उनमें हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ रहा है. यह खुलासा केजीएमयू के शोध में हुआ है.
40 फीसद शिशुओं के दिल की परत हुई मोटी :केजीएमयू के बाल रोग विभाग की डॉ शालिनी त्रिपाठी ने कार्डियोलॉजी, गायनी के डॉक्टरों संग वर्ष 2021-22 तक शोध किया. इसमें गायनी विभाग में 70 गर्भवती का चयन किया. इसमें 35 डायबिटिक, 35 सामान्य गर्भवती थीं. इन महिलाओं और जन्मे शिशुओं के टेस्ट किए गए. अध्ययन में पाया गया कि डायबिटिक मां के जन्मे शिशु के हार्ट के चैंबर वाली लेयर में थिकनेस है. यह ईको टेस्ट में पाया गया. इस बीमारी को इंटर वेंट्रिकुलर सेप्टम हाइपर ट्राफी कहते हैं. इससे जन्म के वक्त या तीन माह तक बच्चे के शॉक में जाने या हार्ट फेल्योर का खतरा रहता है. डायबिटी पीड़ित मां से जन्मे 40 फीसद शिशु इस बीमारी से घिरे मिले.
विदेश में कम, यहां ज्यादा प्रकोप :डॉ शालनी त्रिपाठी के मुताबिक केजीएमयू में हुए शोध में शिशु में यह समस्या विदेशों से अधिक पाई गई. विदेशों में हुए अध्ययन में डायबिटिक मां से जन्मे शिशु में दिल के चेंबर की परत मोटी होने की शिकायत 5 से 15 फीसद है. वहीं देश में 40 फीसद है. इसका कारण भारत में महिलाओं द्वारा शुगर पर नियत्रंण न करना है. इन बच्चों में इंटरवेंट्रिकुलर सिस्टम 6 एमएम से ज्यादा मिली. वहीं सामान्य 3 एमएम होती है.