लखनऊ: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबू जगजीवन राम की 114वीं जयंती (Babu Jagjivan Ram 144th Birth Anniversary) पर उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने वेब सेमिनार किया. 'जगजीवन राम और उनका नेतृत्व' पुस्तक के लेखक इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि उन्हें संकट के समय याद किया जाने वाला मंत्री माना जाता था.
उन्होंने कहा कि 1966-67 में जब अकाल की स्थिति बनी, तो उन्हें खाद्य और कृषि मंत्रालय दिया गया. उन्होंने किसी को भी भूख से मरने नहीं दिया. साथ ही हरित क्रांति की नींव रखकर देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. देश को अनाज का निर्यातक भी बना दिया. इसी तरह बांग्लादेश निर्माण के समय भी रक्षा मंत्री रहते हुए, उन्होंने अपने कौशल से पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया था.
वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़ीया (Journalist Anil Chamdia) ने कहा कि जगजीवन राम गंगा-जमुनी तहजीब के प्रचारक थे. उनके रहते सासाराम और उसके आस-पास के इलाकों में कभी सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए. जगजीवन राम और बाबा साहब अंबेडकर को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिशों को नाकाम करने की ज़रूरत है, क्योंकि इसके बहाने वंचित समाज को बांटने की राजनीतिक शरारत की जाती है. बाबू जगजीवन राम और बाबा साहब अम्बेडकर दोनों ने जाति व्यवस्था को खत्म करने के उद्देश्य से काम किया.