लखनऊ : चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में पैरामेडिकल कर्मचारियों का मनमाने ढंग से स्थानांतरण करने का आरोप लगा है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने बताया कि इस वर्ष स्थानांतरण नीति में समूह 'ग' के कर्मचारियों के लिए केवल पटल परिवर्तन की व्यवस्था की गई थी. इसके साथ ही पटल परिवर्तन की परिधि से बाहर कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए 10 फीसदी की सीमा निर्धारित की गई थी. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशक एवं निदेशक पैरामेडिकल डॉ. निरुपमा दीक्षित ने स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने ढंग से स्थानांतरण कर दिए.
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार के स्थानांतरण 2018-2019 में भी किए गए थे. जिसकी शिकायत राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री से की थी. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के तबादलों की जांच कराई थी और उस समय महानिदेशक एवं निदेशक पैरामेडिकल को प्रतिकूल प्रविष्टि भी दी गई थी. साथ ही संबंधित अनुभाग के कई लिपिक, प्रशासनिक अधिकारियों को निलंबन का दंश झेलना पड़ा था. बीते वर्षों की गलतियों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सबक नहीं लिया और इस वर्ष दोबारा मनमाने ढंग से स्थानांतरण कर दिया.
उन्होंने कहा कि स्थानांतरण सूचियों में बहुत गड़बड़ियां हैं. कई जनपदों के कर्मचारियों को स्थानांतरण में छुआ तक नहीं गया है. कई वर्गों के कर्मचारी 28 से 30 बरस तक एक ही स्थान पर जमे होने के बावजूद भी नहीं हटाए गए हैं, जबकि कार्मिक स्थानांतरण नीति के विरुद्ध जाकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के वाराणसी जनपद के अध्यक्ष राजेश कुमार श्रीवास्तव, अरुण सिंह, लखीमपुर जनपद के अध्यक्ष लैब टेक्नीशियन इंद्रजीत सिंह, लखीमपुर जनपद के ही फार्मासिस्ट सहदेव सिंह सचान जैसे कई पदाधिकारियों को जनपद से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया है.