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जरूरी नहीं कि एम्स-केजीएमयू का हर छात्र नौकरी के काबिल हो: कुलपति - केजीएमयू कुलपति का एक साल

केजीएमयू के कुलपति डॉ. विपिन पुरी का संस्थान में एक साल पूरा हो गया. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि एम्स और केजीएमयू के सभी छात्र नौकरी के काबिल हो.

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Published : Aug 11, 2021, 7:39 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू के कुलपति का एक साल का कार्यकाल पूरा हो गया. उनके कार्यकाल में हुई पहली भर्ती विवादों के घेरे में आ गई थी. राजभवन भी मामले की जांच के आदेश दे चुका है. इसमें सरकारी स्थानों से पासआउट अभ्यर्थियों को नौकरी से दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से पास अफसर के बेटे को शिक्षक पद पर तैनाती दे दी गई थी. वहीं बुधवार को पत्रकार वार्ता में नियुक्ति को लेकर सवाल उठते ही कुलपति भड़क गए. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि एम्स और केजीएमयू के सभी छात्र नौकरी के काबिल हों.

केजीएमयू के कुलपति डॉ. विपिन पुरी एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर हो गया है. अपनी उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए उन्होंने पत्रकार वार्ता बुलाई थी. उन्होंने दावा किया कि दुनियाभर में केजीएमयू के 30 हजार एल्युमिनाई हैं. इनका एक नोलेज पोर्टल बनाया गया है, जिस पर देश-विदेश में रह रहे जॉर्जियन एक-दूसरे से ज्ञान शेयर करते हैं. ऐसे में उनसे सवाल किया गया कि जब केजीएमयू व उनके छात्रों का इतना गौरवमयी इतिहास है.

हाल के हुई भर्ती में कई विभागों के इंटरव्यू में जहां केजीएमयू, एम्स से एमडी- एमएस, डीएम-एमसीएच करने वालों को नौकरी योग्य नहीं माना गया. वहीं नेपाल से एमबीबीएस व प्राइवेट से डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे को शिक्षक बना दिया गया. केजीएमयू के करीब 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती हुई थी. साल के शुरुआत में महीनों मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार हुए. मगर जैसे ही मेडिकल संकाय में इंटरव्यू के लिफाफे खुले. शिक्षकों की नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे.

नव नियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई. सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में एक वरिष्ठ शिक्षक के चहेते को नौकरी देने के आरोप लगे. इसमें दूसरे विभाग का अनुभव लगाने वाले अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग कमेटी ने साक्षात्कार के लिए वैध माना गया. अभ्यर्थी का इंटरव्यू भी हुआ. वहीं प्रस्तावित कार्यपरिषद में नियुक्ति पर मुहर लगाकर तैनाती भी दे दी गयी. विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना नियम विपरीत है. यह मान्य नहीं किया जा सकता है. वहीं राजभवन ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नेपाल पास अफसर के बेटे को भर्ती करने के मामले पर जांच के आदेश दिए थे. ऐसे में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया.

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जांच के लिए बनी है ये टीम
कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जांच के लिए कमेटी गठित की गयी थी. इसमें प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके ओक्षा, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार वर्मा, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र आतम और फैकल्टी इंचार्ज डॉ. मनीष वाजपेई शामिल हैं.

मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने की थी शिकायत
मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री व राज्यपाल से शिकायत की थी. आठ मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब की. सर्वेन्द्र के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दो असिस्टेंट प्रोफेसर (अन रिजर्व) भर्ती के लिए विज्ञापन निकला. इसमें कई अभ्यर्थियों ने आवदेन किए थे.

उरई के विधायक ने बुलंद की थी आवाज
उरई से विधायक गौरी शंकर वर्मा पांच अप्रैल को राज्यपाल व मुख्यमंत्री से भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत की थी. 25 जून को कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव ने शिकायत का संज्ञान लिया. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा. इसमें प्रकरण का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही विधि अनुसार आवश्यक कार्यवाही करने को कहा गया है. विधायक ने भर्ती पर कई सवाल उठाए थे. उन्होंने पत्र में लिखा कि प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाले को सहायक आचार्य पद पर नियुक्त दी गई. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर की मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ. वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले का चयन हो गया.

ईटीवी ने उठाये थे यह सवाल

  • प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक छात्रों को सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा?
  • आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ.
  • नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डायरेक्ट केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया.
  • चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्स ऋषिकेश में शिक्षक पद पर है, उसे भी नेपाली डिग्री वाले अफसर के बेटे के आगे नकार दिया गया.
  • यही नहीं केजीएमयू से पास आउट, वहीं से सीनियर रेजीडेंट अभ्यर्थी भी नकार दिए गए. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.

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