लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के संचालन वाली जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट को जमीन देने के मामले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह ने नियमों को किनारे रखकर कम कीमत ली थी. जिसकी वजह से लखनऊ विकास प्राधिकरण को भारी नुकसान हुआ था. इस बात का खुलासा ईडी की सिफारिश पर लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए ) में हुए ऑडिट के बाद हुआ है. यह जमीन जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट को सीजी सिटी में दी गई थी.
सपा से जुड़ा है जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट
जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व सीएम अखिलेश यादव हैं. इस ट्रस्ट को साल 2016 में जमीन आवंटित हुई थी. उस वक्त अखिलेश यादव खुद सूबे के मुख्यमंत्री थे. एलडीए के तत्कालीन वीसी सत्येंद्र सिंह को उस वक्त सरकार के सबसे करीबी अफसरों में माना जाता था. यही वजह थी कि भ्रष्टाचार के कई खुलासों के बावजूद उनपर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि अब उनकी संपत्तियों की जांच शुरू हो चुकी है. इसमें उनके द्वारा बांटे गए मुआवजे, पत्नी से जुड़ी संस्था को आवंटित प्लॉट और लैंड यूज चेंज के मामलों को रखा गया है.
यह भी पढ़े-अखिलेश ने योगी सरकार पर कसे तंज, कहाः सत्ता के संरक्षण में गुण्डाराज व्यवस्था लागू
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के पूर्व उपाध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह यादव की ईडी जांच के दौरान सीजी सिटी के व्यवसायिक और इंस्टीट्यूशनल प्लॉटों की बिक्री में हुई अनियमितताओं की जानकारी सामने आ रही है. सत्येंद्र सिंह के कार्यकाल में यहां सत्ता से जुड़े ट्रस्ट और उनके करीबी बिल्डरों को तय दर से काफी कम कीमत पर बड़े बड़े प्लॉट बेंच दिए गए हैं. एलडीए द्वारा स्थानीय निधि एवं संपरीक्षा अनुभाग की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. कम कीमत पर इन प्लॉटों की बिक्री के कारण एलडीए को करीब 26 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है. ऑडिट आपत्ति के बाद एलडीए ने बल्क सेल अनुभाग से इसका जवाब तलब किया है, हालांकि अब तक बल्क सेल कोई जवाब नहीं दे सका है.
प्रवर्तन निदेशालय ने एलडीए से सत्येंद्र सिंह के कार्यकाल में हुए टेंडर, नीलामी और उनके खिलाफ हुई जांचों की रिपोर्ट मांगी थी. इसपर एलडीए ने जवाब तैयार करने के लिए ऑडिट कराने का फैसला किया और इसकी जिम्मेदारी स्थानीय निधि एवं लेखा अनुभाग को सौंप दी गई थी.
जांच में सामने आया है कि पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह के कार्यकाल में सीजी सिटी के प्लॉट नंबर एफ 8, डी1 और डी4 की नीलामी हुई. इसमें प्लॉट नंबर एफ8 के लिए जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट ने नीलामी में हिस्सा लिया और उन्हें सफल घोषित करते हुए प्लॉट दे दिया गया. करीब 1000 वर्गमीटर प्लॉट की कीमत 35,613 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से तय होनी चाहिए थी. लेकिन तत्कालीन अधिकारियों ने महज 30,575 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से ही जमीन बेंच दी. इस फैसले से महकमे को करीब 4 करोड़ 93 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं, प्लॉट नंबर डी1 को सरकार के करीबी समझे जाने वाले एमआई हूज और डी4 को एमआई बिल्डर को दिया गया था. इसमें 1529 वर्गमीटर के प्लॉट डी1 की कीमत 35000 रुपये प्रति वर्गमीटर के बजाय महज 27000 रुपये प्रति वर्गमीटर तय की गई और 9000 वर्गमीटर के प्लॉट डी4 की कीमत 35 हजार रुपये प्रति वर्गमीटर के बजाय महज 25 हजार रुपये तय कर नीलामी करा दी और उन्हें बेंच दिया गया.
इस बारे में एलडीए के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि उनके पास 15 दिन पहले ईडी से पत्र आया था. उसमें कई जवाब मांगे गए थे. सीजी सिटी की जमीनों के आवंटन को लेकर भी जवाब मांगा गया था. एलडीए ने सीजी सिटी की जमीनों के आवंटन को ऑडिट कर दिया है साथ ही ईडी को भी जवाब भेज दिया गया है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप