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क्या योगी सरकार में सच में बढ़े हैं दलितों के प्रति अपराध, जानिये कितना है अखिलेश के दावों में दम?

नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने बजट सत्र के आखिरी दिन सदन में कहा कि योगी सरकार में दलितों के प्रति अपराध बढ़े हैं. अखिलेश यादव ने जिस एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला दिया है, क्या सच में यूपी में दलितों के प्रति होने वाले अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है? पढ़िए पूरी खबर...

नेता विरोधी दल अखिलेश यादव

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Published : Jun 1, 2022, 9:03 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 11:35 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में दलितों के प्रति अपराध बढ़े हैं. ये बात नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने बजट सत्र के आखिरी दिन सदन में उठाई तो योगी सरकार की तरफ से इसका खंडन किया गया. अखिलेश यादव ने कहा था कि "बजट को लेकर कोई भी NCRB के आंकड़े देख सकता है. देश में उत्तर प्रदेश हत्या और दलितों के अपराध में नंबर वन है." आइए समझते हैं कि जिस NCRB के आंकड़ों का अखिलेश यादव ने हवाला दिया है, वो क्या कहते हैं.

योगी सरकार में 3 साल में बढ़े दलितों के प्रति अपराध
NCRB के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में साल 2018 से 2020 तक इन 3 सालों में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 36,467 मामले दर्ज हुए. इसके बाद बिहार (20,973 मामले), राजस्थान (18,418) और मध्य प्रदेश (16,952) मामले दर्ज किए गए थे. वर्षवार बात करें तो साल 2018 में देश भर में हुए दलितों के प्रति 42747 अपराध दर्ज हुए थे. इसमें यूपी में सबसे अधिक 11,924 मामले थे. साल 2019 में भी देश में 45,876 मामलों में सबसे अधिक यूपी में 11,829 थे. वहीं साल 2020 में देश के 50,202 मामलों में 12,714 मामले यूपी में सामने आए थे.

दलितों के प्रति अपराध.
अखिलेश सरकार में योगी सरकार से कम थे मामले
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 से 2020 तक योगी सरकार के दौरान दलितों के खिलाफ हुये अपराधों के 36,467 मामले दर्ज हुए थे. हालांकि साल 2015 से 2017 तक अखिलेश सरकार के दौरान दलितों के खिलाफ हुए अपराधों के 30,227 मामले थे, जो योगी सरकार से 6,240 मामले कम थे. वर्षवार आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में देश भर में दलितों के खिलाफ हुये अपराध के 38,613 मामले दर्ज हुए थे. इसमें यूपी में सबसे अधिक 8,357 मामले थे. साल 2016 में देश में 40,743 मामलों में सबसे अधिक यूपी में 10,426 मामले थे. वहीं साल 2017 में देश के 43,122 मामलों में 11,444 मामले यूपी में सामने आए थे.
दलितों को क्या यूपी का नहीं मानती योगी सरकार: सपा
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया कहते हैं कि योगी सरकार क्या दलितों को यूपी का नहीं मानती है. अगर मानती है तो सदन में जब अखिलेश यादव ने दलितों पर होने वाले अपराधों पर आवाज उठाई तो सरकार की तरफ से कुछ नहीं बोला गया. भदौरिया के मुताबिक यूपी में योगी सरकार में दलितों पर अपराध बढ़ा है. NCRB में तो वो आंकड़े हैं जो दर्ज हैं, लेकिन इससे कहीं ज्यादा अपराध तो दर्ज ही नहीं किये जा रहे हैं.
सपा सरकार में दर्ज नहीं होते थे दलितों के मामले : बीजेपी
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अशोक पांडेय के मुताबिक योगी सरकार ने कोरोना काल में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक राशन पहुंचाया. उन्होंने कहा कि उनके निजाम में न कोई सवर्ण बचा और न ही दलित. उनकी सरकार ने हर व्यक्ति को एक नजर से देखा है. सपा सरकार में दलितों पर अत्याचार होता था, उनकी हत्याएं हो रही थीं. दलित बच्चियों के साथ रेप हो रहे थे, लेकिन थानों में मामले दर्ज ही नहीं होते थे. इसलिए अखिलेश सरकार से योगी सरकार में ज्यादा मामले दिखते हैं.

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सपा-भाजपा ने दलितों का शोषण किया : कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता द्विजेन्द्र त्रिपाठी के मुताबिक समाजवादी पार्टी और भाजपा दोनों दलों ने अपनी सरकार में दलितों का जमकर शोषण किया है. इन दोनों की ही सरकार में दलितों पर अत्याचार हुआ है. इनकी सरकार में दलित बेटियों के साथ बलात्कार होते हैं और जब थाने जाती हैं तो वहां से उन्हें भगाया जाता था. त्रिपाठी कहते हैं कि कांग्रेस की सरकार ने हमेशा दलितों को सुरक्षित माहौल देने का प्रयास किया था.


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Last Updated : Jun 2, 2022, 11:35 AM IST

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