लखनऊ : खेतीबाड़ी की बेहतरी और किसानों की खुशहाली के लिए जरूरी है कि संबधित संस्थानों में जो शोध कार्य हो रहे हैं वह प्रगतिशील किसानों के जरिये आम किसानों तक पहुंचे. इस बाबत बहुत पहले 'लैब टू लैंड' का नारा दिया गया था. यह नारा आज भी उतना ही प्रासंगिक है. वैश्विक महामारी कोरोना का ब्रेक नहीं लगता तो यह संख्या अधिक होती. कृषि विभाग एक बार फिर इसके 9वें संस्करण की शुरुआत करने जा रहा है. यह संस्करण दो चरणों में सभी न्याय पंचायतों में चलेगा. पहला चरण 30 और 31 अगस्त को एवं दूसरा चरण 5 एवं 6 सितंबर को होगा. इस बार का फोकस इस बिंदु पर होगा कि कम बारिश के कारण उत्पन्न स्थितियों में किसान तत्काल उपाय क्या करें. खाली खेतों में किसकी अतिरिक्त फसल ली जा सकती है. इनकी तैयारी से लेकर बेहतर प्रजाति एवं फसल संरक्षा के उपायों से किसानों को जागरूक किया जाएगा. इसके अलावा कृषि कुंभ की तरह सरकार गांधी जयंती (दो अक्टूबर) को बड़ा कार्यक्रम करने की भी सोच रही है.
'लैब टू लैंड' नारे को साकार करने के लिए पहले कार्यकाल में योगी सरकार ने 'द मिलियन फार्मर्स स्कूल' (किसान पाठशाला) के नाम से एक अभिनव प्रयोग किया था. हर रबी एवं खरीफ के सीजन में न्याय पंचायत स्तर पर अलग-अलग विषय के विशेषज्ञ किसानों को सीजनल फसल की उन्नत प्रजातियों, खेत की तैयारी, बोआई का सही समय एवं तरीका और समय-समय पर फसल संरक्षण के उपायों की जानकारी देते हैं. देश और दुनिया में सराहे गए इस अभिनव अभियान के कुल आठ संस्करणों में करीब 85 लाख किसानों को प्रशिक्षण मिल चुका है.
लैब टू लैंड नारे को मूर्त रूप देने को कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान में गुणात्मक सुधार के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के खाली पदों को छह महीने में भरने का लक्ष्य रखा है. इसी समयावधि में उच्च शिक्षा से हस्तांतरित हरदोई के महाविद्यालय को क्रियाशील करने, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ से संबद्ध शुगरकेन टेक्नोलॉजी महाविद्यालय के पदों को सृजित कर क्रियाशील करने, कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के पदों के सृजन का भी लक्ष्य है. 'लैब टू लैंड' नारे को साकार करने में कृषि विश्वविद्यालयों से जुड़े कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) सर्वाधिक महत्वपूर्ण निभा सकते हैं. फिलहाल इस समय प्रदेश में 89 केवीके हैं. हर केंद्र के पास पर्याप्त बुनियादी संरचना है. अब सरकार इनके मूल्यांकन के मानक भी तय करेगी.
किसान अपने आस-पास के प्रगतिशील किसानों को देखकर बेहतर और कुछ नया करने को प्रेरित हों. इसके लिए खरीफ के मौजूदा सीजन से ब्लॉक स्तर पर बनाए जाने वाले क्लस्टर्स (500 से 1000 हेक्टेयर) के लिए प्रति क्लस्टर के अनुसार एक-एक चैंपियन फार्मर्स, सीनियर लोकल रिसोर्स पर्सन, दो लोकल रिसोर्स पर्सन और दस कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का चयन किया जाएगा. प्रसार कार्य को और विस्तार देने के लिए लखनऊ स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान रहमानखेड़ा को सभी मंडलों, जिलों, ब्लाकों एवं केवीके से जोड़कर इस तरह की व्यवस्था की जाएगी कि ये संस्थान एक साथ एक लाख किसानों को प्रशिक्षण दे सके.
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