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ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में जल्द शुरू होगी प्रवेश की प्रक्रिया - Lucknow Admission process start

लखनऊ के ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय में शैक्षिक सत्र (2022—23) स्नातक प्रवेश प्रक्रिया जल्द शुरू हो जायेगी. इस बात की घोषणा केएमसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एनबी सिंह ने शनिवार को विश्वविद्यालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद की.

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केएमसी

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Published : May 4, 2022, 10:10 AM IST

लखनऊ: ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्विद्यालय (Lucknow's Khwaja Moinuddin Chishti Language University) में शैक्षिक सत्र (2022—23) स्नातक प्रवेश प्रक्रिया मई के पहले सप्ताह में शुरू हो जायेगी. इस बात की घोषणा केएमसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनबी सिंह ने शनिवार को विश्वविद्यालय का कार्यभार ग्रहण करते हुए की.

कुलपति ने कहा कि भाषा विश्वविद्यालय को माइनॉरिटी इंस्टिट्यूट के रूप में जाना जाता है. विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में आस पास के गांवों को जोड़कर विश्वविद्यालय की छवि को बदलने का भी प्रयास किया जाएगा. लड़कियों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए नई योजनाएं भी चलायी जाएंगी.

प्रवेश प्रक्रिया के लिए गठित होगी समिति
कुलपति ने कहा कि इंटरमीडिएट से सभी बोर्डों के परिणाम जारी होने वाले हैं, ऐसे में स्नातक प्रवेश के लिए एक समिति गठित की जायेगी. विश्वविद्यालय में इस बार रिकॉर्डतोड़ प्रवेश कराने का लक्ष्य रखा गया है. भाषा विश्वविद्यालय की फ़ीस अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा काफी कम होगी. इसका लाभ सभी विद्यार्थी उठा सकते हैं. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा आवेदकों को विश्विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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पहली बार स्थापित होगी प्लेसमेंट सेल
कुलपति ने कहा कि छात्रों को ज्ञान के साथ-साथ कौशल भी आना चाहिए. आगामी सत्र से प्लेसमेंट पर ज़ोर दिया जाएगा. कैंपस ड्राइव से कंपनीज़ को विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट के लिए आमंत्रित किया जाएगा.

चुनौतियों के बीच कुलपति ने बताए ये लक्ष्य
1.राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लागू किया जायेगा.
2. नैक के दिशा-निर्देशों के अनुसार नैक एक्रीडेशन.
3. बेहतर शैक्षणिक वातावरण तैयार करायेंगे.
4. विश्वविद्यालय में अनुसंधान और नवाचार पर जोर देंगे.
5. छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को गुड प्रैक्टिस
6. विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को शोध प्रकाशनों और शोध को बढ़ावा
7. अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय होने की धारणा बदलेंगे.

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