लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुस्लिम समाज को भाजपा से जोड़ने पर बल दिया था, जिसके बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था. मुस्लिम वर्ग में पिछड़े और गरीब तबके को पसमांदा मुस्लिम समाज कहा जाता है. उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक आयोग को पिछले एक वर्ष में सबसे ज़्यादा शिकायतें पसमांदा समाज ने की हैं. आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी के अनुसार 80 फीसदी प्राप्त मामले पसमांदा मुस्लिम समाज के हैं, जिनको हल किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा कि आयोग के ऊपर यह जिम्मेदारी है कि वह अल्पसंख्यक वर्ग में आने वाले छह समुदायों की शिकायतों को सुनें और उनका निराकरण करें. पिछले एक वर्ष में 2686 शिकायतें अल्पसंख्यक आयोग में दर्ज हुई हैं. जिसमें 2468 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है. अशफाक सैफी ने कहा कि इन प्राप्त शिकायतों में 80 फीसदी शिकायतें अल्पसंख्यक समाज के उस पिछड़े, गरीब और अशिक्षित वर्ग की हैं, जिनको कहीं न्याय नहीं मिलता है. अध्यक्ष अशफाक सैफी ने कहा कि इस पिछड़े समाज को लेकर शिक्षा, रोजगार की चिंता अभी तक किसी ने नहीं कि थी. टूटे हुए मकानों में रहने वाले पसमांदा तबके को पक्का मकान देने का काम भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने किया है. उन्होंने कहा कि पसमांदा समाज को आगे बढ़ाने का काम भी इस सरकार में हो रहा है.
पसमांदा मुस्लिम समाज में जगी उम्मीद :पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने हमेशा 15 प्रतिशत वाले अगड़े तबके से ही अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि 85 प्रतिशत वाले पिछड़े पसमांदा समाज से किसी को इस कुर्सी पर बैठाया गया. अनीस मंसूरी ने कहा कि आयोग के अध्यक्ष ने खुद पसमांदा तबके के होने के नाते भेदभाव सहे होंगे और आज इस कुर्सी पर बैठने के बाद इस गरीब तबके को न्याय दिलाने का काम किया है.