कानपुर:संजीत अपहरण हत्याकांड मामले में पुलिस की तरफ से कार्रवाई में तेजी देखने को मिली है. हाल ही में जांच के दौरान एसपी साउथ ने बर्रा पुलिस टीम के साथ मिलकर दो मोबाइल खोज निकाले थे. इसमें एक मोबाइल संजीत का बताया जा रहा है. वहीं दूसरे मोबाइल से फिरौती की रकम मांगी गई थी.
जानकारी देते एसपी साउथ दीपक भूकर. अब इस मामले में पता चला है कि अभियुक्तों द्वारा दो सिम इस्तेमाल किए जा रहे थे, जिसमें एक सिम से फिरौती मांगी जा रही थी और दूसरे सिम से अन्य जगह पर फोन किया जा रहा था. संजीत अपहरण हत्या कांड में पुलिस ने कृष्णकांत तिवारी नाम के सिम विक्रेता को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
मिली जानकारी के अनुसार, संजीत अपहरण हत्याकांड में अभियुक्त दो सिम इस्तेमाल कर रहे थे. इसमें से एक सिम नंबर से लगातार संजीत के परिवार से फिरौती मांग रहे थे, वहीं दूसरे सिम नंबर से अन्य कई जगह फोन किए गए थे. यह दोनों सिम महिला की आईडी पर एक्टिवेट किए गए थे. इसमें एक्टिवेशन के लिए खुद सिम विक्रेता कृष्णकांत तिवारी ने अपना मोबाइल नंबर यूज किया था.
बता दें, एसपी साउथ दीपक भूकर द्वारा दो टीमों का गठन किया गया था. इसमें एक टीम को संजीत के शव और मोबाइल को खोजना था. वहीं दूसरी टीम को संजीत के फिरौती वाले बैग को खोजना था. लगातार खोजबीन के बाद कुछ दिन पहले संजीत का मोबाइल और फिरौती वाला मोबाइल बरामद हुआ था, लेकिन फिरौती वाले फोन में सिम कहां से आया, यह पुलिस को जानकारी नहीं हो पा रही थी. इसके लिए लगातार एसपी साउथ दीपक भूकर की अगुवाई में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था. आखिर में पुलिस के हाथ सफलता लगी और बर्रा पुलिस सिम विक्रेता कृष्णकांत तिवारी तक पहुंचने में कामयाब रही.
क्या है यह पूरा मामला?
कानपुर के बर्रा से 22 जून को लैब टेक्निशियन संजीत यादव का अपहरण किया गया था. 26 जून को आरोपियों ने संजीत की हत्या कर शव को पांडु नदी में फेंक दिया. वहीं 23 जुलाई की रात पुलिस ने मामले में खुलासा करते हुए संजीत के दोस्त कुलदीप, रामबाबू समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया.
पुलिस ने बताया कि कुलदीप संजीत के साथ सैंपल कलेक्शन का काम करता था. उसने रतनलाल नगर में किराए पर कमरा ले रखा था. 22 जून की रात शराब पिलाने के बहाने वह संजीत को अपने कमरे में लाया और उसे बंधक बना लिया. इसके बाद 4 दिन तक बेहोशी का इंजेक्शन देकर संजीत को रखा गया. वहीं 26 जून को कुलदीप ने अपने दोस्त रामबाबू और तीन अन्य के साथ मिलकर संजीत की हत्या कर दी थी. इसके बाद संजीत के शव को आरोपियों ने पांडु नदी में फेंक दिया.
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