कानपुर: कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के विशेषज्ञों ने ज्वार के तने से शुगर सीरप को तैयार किया था. अब, विशेषज्ञों ने नवाचार की दिशा में कदम बढ़ाते हुए तरल (लिक्विड) औद्योगिक अल्कोहल को ठोस रूप में परिवर्तित करने की एक सस्ती प्रक्रिया विकसित की है. इस तकनीक से खानपान, व्यापार, पर्यटन और क्षेत्र कार्य (सेना के उद्देश्य) में हीटिंग और वार्मिंग उद्देश्यों के लिए पेट्रोलियम उत्पाद पैराफिन (मोम) के स्थान पर एथेनाल के ठोस रूप का उपयोग किया जा सकेगा. इसकी कीमत महज 50 रुपये प्रति किलोग्राम होगी.
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि हम पेट्रोलियम आधारित उत्पादों के प्रतिस्थापन के रूप में जैव-ईंधन को विकसित करने पर काम कर रहे हैं. ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में ठोस जैव अल्कोहल को पैक करना और परिवहन करना आसान है. जब यह जलता है तो धुएं और कालिख का कारण नहीं बनता है, न ही वातावरण में किसी तरह की हानिकारक गैस पहुंचती है. यह पैराफिन (मोम) का सही विकल्प है, जो पेट्रोलियम उत्पाद होने के कारण जलने के दौरान कालिख का कारण बनता है और जलने की तेज और चुभने वाली गंध के अलावा जहरीली गैस का उत्सर्जन करता है. यह तकनीक संस्थान के विज्ञानी डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव और शोध छात्रा ममता शुक्ला ने दो वर्ष की मेहनत के बाद विकसित की है.