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Published : Aug 7, 2020, 8:58 PM IST

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...नहीं चुका पाया दूध का कर्ज तो फांसी लगाकर दी जान

यूपी के कानपुर देहात जिले में दूध के रुपये न चुका पाने पर श्रमिक ने फांसी लगाकर जान दे दी. दरअसल मजदूर रक्षाबंधन पर घर से यह कहकर निकला था कि रुपयों का इंतजाम करने के बाद ही लौटेगा. इसके बाद गुरुवार को खेत पर उसका शव लटकता मिला.

परिजन.
परिजन.

कानपुर देहात:जिले में दिल को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई है, जहां दूध के रुपये न चुका पाने पर श्रमिक ने फांसी लगाकर जान दे दी. दरअसल, मजदूर अपने 4 माह के बच्चे के लिए दूधिया से दूध खरीदता था, लेकिन इस दौरान पैसे की कमी के चलते वह रुपये नहीं दे पा रहा था. वहीं मजदूर तगादा करने से भी काफी परेशान हो गया था. मजदूर रक्षाबंधन पर घर से यह कहकर निकला था कि रुपयों का इंतजाम करके ही लौटेगा. इसके बाद गुरुवार को खेत पर उसका शव लटकता मिला. वहीं पुलिस मजदूर को मानसिक रूप से अस्वस्थ होने की बात कह रही है.

मजदूरी कर चलाता था घर
ग्रामीणों ने बताया कि पत्नी सुदीपा और चार माह के बेटे के साथ अरुण गांव में रहकर मजदूरी करके परिवार पाल रहा था. वह बच्चे के लिए दूध लेता था, जिसका एक हजार रुपये बकाया हो गया था. रक्षाबंधन से पहले दूधिया ने तगादा किया था. वह रक्षाबंधन के दिन रुपयों का इंतजाम करने की बात कहकर घर से निकला था. वहीं गुरुवार को शव उसके खेत में पेड़ से लटकता मिला. जानकारी पर अरुण की पत्नी मौके पर पहुंची तो शव देखकर उसके होश उड़ गए. घटना पर पामा चौकी के दारोगा चंद्रभूषण सिंह भदौरिया ने बताया कि अरुण मानसिक रूप से अस्वस्थ था. वह हर छोटी बात को गंभीरता से लेकर परेशान हो जाता था.

छोटी सी बात पर दे दी जान
दूधिया के तगादा करने से परेशान होकर अरुण ने पत्नी सुदीपा से रुपयों का इंतजाम करके आने की बात कही थी. अरुण के पास जॉब कार्ड है. वह मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण कर रहा था. वहीं उसकी पत्नी को उम्मीद थी कि वह दो-तीन दिन में मजदूरी करके कुछ रुपये लेकर आ जाएगा. पत्नी को जानकारी मिली थी कि वह (मजदूर) खेतों पर बनी झोपड़ी में ठहरा है. पत्नी ने सोचा की तगादा से बचने के लिए वह खेतों पर हैं. गुरुवार को उसे आत्महत्या की जानकारी मिली तो वह बेसुध हो गई. उसने कहा कि कभी यह सोचा भी नहीं था कि इतनी छोटी बात पर वह जान दे देंगे.

तीन भाइयों के बीच दो बीघा जमीन
अरुण उर्फ लाला का एक भाई अरविंद बेसिक शिक्षा विभाग में रायबरेली में शिक्षक है. दूसरा भाई राम किशन रेलवे में इंजीनियर है. माता-पिता राम किशन के साथ रहते हैं. सरकारी सेवारत दोनों भाई अरुण से ज्यादा मतलब नहीं रखते थे. ग्रामीणों की मानें तो सरकारी सेवा में होने के बावजूद वह खेती से होने वाली आमदनी लेते थे. अरुण के पास जॉब कार्ड होने के साथ राशन कार्ड भी है और उसे इंदिरा आवास भी मिल चुका है.

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