झांसी:देश की सबसे बड़ी परीक्षा UPSC का रिजल्ट आने के बाद झांसी शहर में सिर्फ इसी नाम की चर्चा है. हो भी क्यों न, सामान्य परिवार की बिटिया ने जो कमाल कर दिया है. ऑल इंडिया में 79वीं रैंक पाने वाली संपदा त्रिवेदी ने घर पर ही पढ़कर UPSC परीक्षा को पास किया है. वो भी मात्र 5 से 6 घंटे पढ़ाई करके. मीडिया से बात करते हुए संपदा ने बताया कि वे किस तरह संघर्ष करके इस मुकाम तक पहुंची और अपने परिवार के साथ झांसी का नाम रोशन किया है.
सीपरी बाजार के प्रेमगंज निवासी संपदा त्रिवेदी पुत्री बृजेश त्रिवेदी बताती हैं कि 12वीं तक झांसी के जय एकेडमी से पढ़ाई की. उसके बाद दिल्ली चली गई. रामजस कॉलेज से इतिहास और फिलॉसफी विषय से बीए किया. शुरूआत से ही संपदा के बाबा त्रिभुवन नाथ त्रिवेदी कहा करते थे कि बेटा IAS बनना, तभी से IAS बनने का सपना था. बीए करने के बाद एक साल दिल्ली में तैयारी की. फिर घर आकर पढ़ाई की और फिर चौथे प्रयास में सफलता मिल गई.
संपदा त्रिवेदी को चौथे प्रयास में मिली 79वीं रैंक संपदा ने बताया कि पहले अटैम्प में इतनी तैयारी नहीं थी, तो कोई दु:ख नहीं हुआ. दूसरी बार में एग्जाम क्लियर नहीं हुआ तो मन खराब हो गया. मुझे लगा कि मैं पास नहीं कर पाऊंगी. क्योंकि मैं 8 से 10 घंटे पढ़ा करती थी. काफी तनाव हो गया लेकिन, मेडीटेशन और फैमिली ने पॉजिटिवी प्रोवाइड करवाई. फिर मैने तैयारी का तरीका बदला. सबसे पहले कमजोरी ढूंढ़ी. मेरी कमजोरी आंसर राइटिंग थी. मैंने आंसर राइटिंग की प्रेक्टिस शुरू कर दी. तीसरी अटैम्प में भी एग्जाम क्लियर नहीं हुआ. अब सोच लिया था कि ये लास्ट अटैम्प है. इसके बाद पोस्ट ग्रेजुऐट करुंगी. लेकिन, मेरे अंतिम चौथे अटैम्प में एग्जाम क्लीयर हो गया.
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वहीं, संपदा ने आगे बताते हुए कहा कि वह दिल्ली में अकेली रहती थी. वहां का वातावरण मुझे तनावपूर्ण लगता था. मुझे लगा कि घर पर रहकर अच्छी पढ़ाई कर सकती हूं. पढ़ने के लिए घर बेहतर लगा, इसलिए घर आ गई. क्योंकि घर पर बहुत लोग होते हैं. इससे तनाव जल्दी दूर हो जाता है. कोई कोचिंग भी नहीं ली. वहीं, संपदा ने अन्य छात्र-छात्राओं को संदेश देते हुए कहा, कि सबसे पहले UPSC जो सिलेबस उपलब्ध कराता है. उसको ऑफिशियल वेबसाइट से डाउनलोड करिए. फिर अपने हिसाब से कोर स्टर्जी बनाइये कि आपको क्या कोर बुक पढ़नी है. क्योंकि पढ़ने के लिए बहुत ज्यादा मटेरियल होता है.
आपको चुनाव करना आना चाहिए कि आपको क्या-क्या नहीं पढ़ना है. क्योंकि बहुत ज्यादा पढ़ेंगे तो उसको फेस नहीं कर पाएंगे. आप एक मिनिमम लिस्ट बनाइये कि आपको किस टॉपिक पर कौन-सी बुक पढ़नी है. उसके बाद अनेक बार रिवाइज करिए. खुद के नोट्स बनाइये. जो एग्जाम के पहले रिवाइज में हेल्प करते हैं. आंसर राइटिंग की प्रेक्टिस करिए. एक सवाल जबाब देते हुए संपदा ने कहा कि मैं कहती हूं कि सारी लड़कियों को मौका देना चाहिए. उनकी फैमिली को सपोर्ट और मौका देना चाहिए. जैसा कि मेरी फैमिली ने 5 साल तक सपोर्ट किया.
मुझे कभी-कभी खुद के ऊपर विश्वास नहीं होता था कि मैं ये एग्जाम पास कर सकती हूं, लेकिन मेरी फैमिली को विश्वास था. वे मुझे मोटिवेट करते रहते थे. इसलिए आज मैं एग्जाम पास कर पाई हूं. इसलिए सबको अपनी लड़कियों पर विश्वास करना चाहिए. वहीं, संपदा ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी पूरी फैमिली को दिया. उन्होंने बहुत सपोर्ट किया. तनाव के साथ पढ़ना बहुत मुश्किल होता है. जब आप थर्ड-फोर्थ अटैम्प पर पहुंचते हैं तब काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है. वही, सेम सिलेबस पढ़ना, उसी चीज को रिपीट करना, रोज पढ़ाई करना. ऐसे में इमोशनल और मेंटली सपोर्ट जरूरी है. मैं मेडीटेशन करती हूं तो उससे भी तनाव दूर हो जाता था.
संपदा के पिता बृजेश त्रिवेदी का सीपरी बाजार में पंडित मैरिज गार्डन है. वहीं, मां संध्या होम मेकर है. तीन बहनों में संपदा दूसरे नंबर की है. बड़ी बहन सांत्वना शादीशुदा है और आईटी सेक्टर में जॉब करती हैं. छोटी बहन संवृद्धि पढ़ती हैं. संपदा के बाबा त्रिभुवन नाथ त्रिवेदी एसपीआई में प्रिंसिपल थे. 1984 में उन्होंने भाजपा की टिकट पर झांसी से विधायक का चुनाव लड़ा था.
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