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प्रेमचंद की 'कर्मभूमि' गोरखपुर की बदलेगी सूरत, योगी सरकार खर्च करेगी 5 करोड़ रुपये - yogi government will spend 5 crores

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कई सालों से बदहाल पड़े प्रेमचंद पार्क का जीर्णोद्धार किया जाएगा. सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ पार्क के विकास के लिए 5 करोड़ रुपये देगी. इस धनराशि से पार्क में उनके साहित्य को संभाल कर रखा जाएगा.

प्रेमचंद साहित्य संस्थान.

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Published : Nov 7, 2019, 1:44 PM IST

गोरखपुर: उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद अपनी 'कर्मभूमि' गोरखपुर में अब बहुत समय तक उपेक्षित नहीं रहेंगे. सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद जिला प्रशासन प्रेमचंद पार्क में उनके साहित्य संसार को संजोने के लिए करीब 5 करोड़ रुपए खर्च करेगी.

प्रेमचंद की 'कर्मभूमि' गोरखपुर की बदलेगी सूरत.

डीएम के अनुसार जिला प्रशासन और जीडीए मिलकर प्रेमचंद पार्क के जीर्णोद्धार की योजना बना चुके हैं. यह सीएम की विशेष प्राथमिकता में है. सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद प्रशासन इसका खाका तैयार करने में जुटा है. प्रस्तावित बजट से पार्क के मुख्य गेट पर स्थित प्रेमचंद की प्रतिमा को भव्य रूप दिया जाएगा. साथ ही निशानी के तौर पर मौजूद उनके भवन के कमरों की दशा भी बदली जाएगी.

बदहाल हुआ प्रेमचंद पार्क
मौजूदा समय में प्रेमचंद पार्क जिस हालत में नजर आता है उसको सुंदर रूप प्रदेश के पूर्व सीएम वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल में मिला था, लेकिन उसके बाद यह लगातार उपेक्षित होता चला गया. जिसकी बानगी पार्क में मौजूद बदहाल हो चुके संसाधन बयां कर रहे हैं. यहां लगी प्रेमचंद की प्रतिमा के अनावरण में उनकी पत्नी शिवरानी देवी आई थी.

गांधी जी के भाषण से हुए प्रभावित
मुंशी प्रेमचंद पहली बार 1892 में गोरखपुर आए थे. उनके पिता अजायब लाल डाक विभाग में तैनात थे और प्रेमचंद ने यहीं से आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त की थी. दूसरी बार वह नौकरी के सिलसिले में यहां आए और 1921 तक बतौर सहायक अध्यापक कार्य किया. गांधी जी का भाषण सुनने के बाद नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिर साहित्य सृजन में लग गए. प्रेमचंद जहां रहा करते थे उस घर और लाइब्रेरी को जैसे तैसे संभाल कर रखा गया है.

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प्रेमचंद ने लिखी कई रचनाएं
प्रेमचंद ने गोरखपुर में नमक का दरोगा, ईदगाह और रामलीला जैसी कालजई रचनाएं लिखी. उनके साहित्य में गोरखपुरियत की साफ झलक देखने को मिलती है. उनकी कहानी, नाटक और उपन्यास के तमाम पात्र इसी गोरखपुर की उपज हैं. इसलिए उम्मीद की जा रही है कि प्रेमचंद पार्क को जिस हिसाब से विकसित किया जाएगा, उससे प्रेमचंद से जुड़े साहित्य, उनके किरदारों का लोग साक्षात्कार कर सकेंगे.

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