उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / city

पीएम आवास योजना में धांधली, तीन सौ लाभार्थियों ने धन लेकर नहीं बनवाया आवास

गोरखपुर में जिला शहरी विकास अभिकरण के अधिकारियों की लापरवाही के कारण पीएम आवास योजना में बड़ी धांधली सामने आयी है. यहां तीन सौ लाभार्थी ऐसे मिले हैं, जो आवास बनवाए बिना ही पीएम आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत मिले 2 लाख रुपये डकार चुके हैं.

irregularities-found-in-gorakhpur-pradhan-mantri-awas-yogna
irregularities-found-in-gorakhpur-pradhan-mantri-awas-yogna

By

Published : Nov 15, 2021, 5:22 PM IST

गोरखपुर: मुख्यमंत्री के शहर में जिला शहरी विकास अभिकरण के अधिकारियों की लापरवाही के कारण पीएम आवास योजना में जमकर अनियमितताएं सामने आयी हैं. इसके करीब तीन सौ लाभार्थी पीएम आवास योजना की दो किस्तों के रूप में 2 लाख रुपये ले चुके हैं और अब तक आवास नहीं बनवाया है.

गोरखपुर में प्रधानमंत्री आवास में धांधली

लाभार्थियों की रिपोर्ट तैयार करते समय यह धांधली उजागर हुई. इसके बाद 300 लोगों को नोटिस जारी कर डूडा ने जल्द से जल्द मकान की छत बनाने का निर्देश दिया है. ऐसा न होने पर रिकवरी के साथ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है.


जिले में पीएम आवास योजना के 38 हजार लाभार्थी हैं. इनको आवाज के लिए पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये, दूसरी किस्त में छत तक के लिए डेढ़ लाख रुपये दिए जाते हैं. छत पूरी होने पर 50 हजार रुपये और देने की व्यवस्था है. इन लाभार्थियों ने दूसरी किस्त तो ले ली, लेकिन अभी तक मकान नहीं बनवाया है. इन्हें विभाग की तरफ से कई बार कहा गया, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ.

अब डेटा एकत्र करने के दौरान जब मामला उजागर हुआ, तो लाभार्थियों के साथ विभाग के बाबू और इंजिनियर भी जांच के दायरे में आ गए हैं. गोरखपुर जिलाधिकारी ने भी इस योजना में धांधली रोकने के लिए लाभार्थियों और सूची में शामिल लोगों को पोस्टकार्ड भेजकर किसी को भी लाभ के बदले रुपये देने से बचने को कहा है और रुपया मांगने वालों की सूचना भी देने की बात कही है.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी की शालीनता : आदिवासी रंग में रंगे, नेताओं को पैर छूने से रोका


पीएम आवास योजना में धांधली और आवेदकों की जांच की जिम्मेदारी सरयू बाबू इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को मिली थी. इनके सर्वेयर और अधिकारियों को मिली रिपोर्ट में यह आंकड़े सामने आए हैं. इसके बाद प्रशासन की टीम ने इस मामले की जांच की है. जांच में विभाग के एक बाबू और कंपनी के सर्वेयर दोषी पाए गए हैं. इनके उपर इन लाभार्थियों की निगरानी और मकान बनवाने की जिम्मेदारी थी.

कंपनी के सर्वेयर और इंजीनियरिंग विभाग का उत्तरदायित्व यह सुनिश्चित करना है कि किश्त लेने के बाद मकान का निर्माण चरणबद्ध तरीके से हो. ऐसा नहीं होने पर दूसरी किस्त रोकी जाती है, लेकिन जांच करने वाले अधिकारियों को हैरानी तब हुई जब मकान की नींव भी नहीं पड़ी और छत की किस्त भी दे दी गयी.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ABOUT THE AUTHOR

...view details