गोरखपुर: शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोग अगर अपने घर और दरवाजे पर किसी किन्नर की उपस्थिति और आवाज को सुनते हैं तो घबड़ाइएगा नहीं. यह ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो आपके घर बधाई देने या सोहर गाने और सगुन लेने नहीं बल्कि गृहकर वसूलने आए हों. गोरखपुर नगर निगम ने यह नई व्यवस्था बनाई है.
थर्ड जेंडर यानी किन्नर समाज के पढ़े-लिखे लोगों को उनके मूल पेशे के अलावा नगर निगम द्वारा इस क्षेत्र से जोड़ने की पहल हुई है. उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की पहल पर सीएम सिटी के नगर निगम ने इसे अमली जामा पहनाया है. दस किन्नरों को इसके के लिए नियुक्ति/तैनाती दी गई है. इससे पहले यह व्यवस्था अहमदबाद और गुजरात में शुरू हुई थी. इसी की तर्ज पर गोरखपुर में भी यह लागू हुई है.
नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा है कि गुजरात के अहमदाबाद में किन्नरों के द्वारा किए जा रहे कार्य से अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं. ऐसे में नगर निगम गोरखपुर ने भी इसे नियोजित करने की योजना बनाई और इन्हें कर वसूली समेत अन्य कार्यों के लिए नियोजित करने का कार्य किया है. सीएम योगी की मंशा के अनुरूप किन्नरों को समाज के मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है.
इन्हें गृहकर वसूली समेत लिपिकीय कार्य और इलेक्ट्रिक बस डिपो में भी नौकरी दी जा रही है. पहली मई से तीन किन्नर इलेक्ट्रिक बस डिपो में भी कार्य करेंगे. उन्होंने कहा कि निगम के अधिकारी और कर्मचारी जहां भी कार्य के लिए जाएंगे, नियुक्त हुए किन्नर कर्मचारी भी उनके साथ शामिल होंगे. उन्होंने बताया कि करीब सौ करोड़ निगम का गृहकर के रूप में लोगों पर बकाया है. इसमें निगम के कर्मचारियों द्वारा धांधली और धोखाधड़ी भी पकड़ी गई है. ऐसे में किन्नर समाज की सहायता से इन कार्यों में सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है.