गोरखपुर: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 64 वर्षों के इतिहास में 21 दिसम्बर को ऐसा पहली बार हुआ, जब मौजूदा कुलपति पर भ्रष्टाचार, अनियमितता और पद के दुरुपयोग करने का आरोप लगा है. इसके विरोध में हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू कर दिया है.
विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा के सामने जब प्रोफेसर कमलेश गुप्ता ने सत्याग्रह शुरू किया, तो उनको विश्वविद्यालय के तमाम प्रोफेसरों का समर्थन मिलने लगा. इस सत्याग्रह में कई अड़चनें भी आईं. प्रोफेसर कमलेश का समर्थन करने वाले साथियों से ईटीवी भारत ने बात की.
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलपति मनमानी कर रहे हैं. वो खुद को संविधान से भी ऊपर समझते हैं. यहीं वजह है कि उनके खिलाफ आंदोलन और सत्याग्रह की राह प्रोफेसरों को अख्तियार करनी पड़ी. प्रोफेसर कमलेश ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भी शिकायत भेजी है. उन्होंने अपने पत्र में कई गंभीर आरोप कुलपति पर लगाए हैं.