गोरखपुर:बाढ़ की आपदा से निपटने में जिले का एक गांव खुद में ही सक्षम है. राप्ती नदी के किनारे बहरामपुर गांव नदी के उत्तरी और दक्षिणी दो टोले में बटा हुआ है. यह हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आता है. तेज बारिश से नदी का जलस्तर जैसे ही बढ़ता है तो नदी के किनारे के इस गांव पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. लोगों को अपने ठिकाने के लिए नदी के बंधे का सहारा लेना पड़ता है.
इसके बाद भी ग्रामीणों को अपनी सुरक्षा और सामानों के बचाव के लिए नाव की जरूरत पड़ती है. उसी के चलते ग्रामीण प्रशासन की वजह खुद पर ही निर्भर हो गए हैं. इस गांव की सबसे खास बात यह है कि यहां के हरेक घर बड़ी-छोटी नाव मौजूद है. लोगों ने बताया है कि उनके गांव में करीब 50 नाव मदद के लिए मौजूद हैं.
गांव के हर घर में मौजूद है नाव:जुलाई और अगस्त के महीने में यह क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आता है. इसके चलते बहरामपुर गांव में लोग अपनी नाव की मरम्मत कर उसे दुरुस्त करने में जुट गए हैं और ग्रामीण मोर्चाबंदी के लिए अब तैयार हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने ग्रामीणों से जानकारी ली. उन्होंने बताया कि एक नाव की मरम्मत पर करीब 2 हजार रुपये का खर्च आता है. ग्रामीण इसके लिए किसी पर भी निर्भर नहीं रहते हैं. वहीं, जिला प्रशासन भी बाढ़ से बचाव की तैयारियों में जुट गया है. अपर जिलाधिकारी वित्त और राजस्व राजेश कुमार सिंह के ऊपर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है. उन्होंने बताया कि जिले में छोटी-बड़ी करीब 270 नावें हैं, जिनकी लिस्ट तैयार कर ली गई है. इनके नाविकों को भी तैयार कर लिया गया. बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए नाव की कमी नहीं होने पाएगी और न ही नाविकों की.