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गोरखपुर: बे-मौसम बारिश ने तोड़ी ईंट भट्टा मालिकों की कमर, मजदूरों पर गहराया रोजगार का संकट - heavy damage to brick kiln owners

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में बारिश होने से ईंट भट्टा कारोबार सुस्त पड़ गया है. इसके कारण यहां काम करने वाले मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. वहीं बारिश से ईंट उत्पादन में काफी गिरावट हुई है.

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ईंट कारोबार को प्रभावित कर रही बारिश.

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Published : Mar 15, 2020, 2:53 PM IST

गोरखपुर: जिले में लगातार बे-मौसम बारिश और ओलावृष्टि का कहर देखने को मिल रहा है. इसके कारण ईंट भट्टा कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ईंट भट्टों पर ईंट की पथाई रोक दी गई है, जिसके कारण यहां काम करने वाले मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बारिश शुरू होने से जिले में चल रहे 410 ईंट भट्टों पर ईंट बनाने का काम ठप हो गया है. वहीं ईंट पकाई का कार्य सुस्त होने से ईंट के दामों में वृद्धि हुई है.

बारिश ने बढ़ाई ईंट कारोबारियों और मजदूरों की परेशानी.

जिले में संचालित 410 ईंट भट्ठों पर अक्टूबर माह में ईंट की पथाई शुरू होते ही शीत लहर चलने और धूप न निकलने से कच्ची ईंट समय से नहीं सूख सकी. जब धूप निकलना शुरू हुई तो ईंट पथाई का कार्य शुरू हुआ, लेकिन बे-मौसम बारिश भट्ठा मलिकों पर आफत बनकर टूट पड़ी. बारिश के कारण कच्ची ईंटें गल गईं. गली मिट्टी को इकट्ठा करने और पानी सूखने में हफ्तों लग गए. फिर किसी तरह पथाई का कार्य शुरू हुआ.

50 फीसदी घटा ईंट का उत्पादन
जिले के गुलरिहा बाजार एक भट्ठे के मालिक ने बताया कि सीजन में करीब 40 लाख ईंट तैयार होता था, लेकिन इस बार 15 से 20 लाख कच्चा ईंट वर्षों होने से खराब हो गया और ईंट का उत्पादन 50 फीसदी घट गया. वहीं एक दूसरे ईंट भट्ठे के मैनेजर दिनेश सिंह ने बताया कि उनके भट्ठे पर इस सीजन में अब तक बारिश से 13 लाख ईंट गल चुके है. जनवरी के अखिर में पहली निकासी सत्र में ईंट का विक्रय 14 हजार रुपया प्रति ट्राली किया गया. बारिश में हुए नुकसान के कारण ईंट के दामों में पंद्रह सौ से दो हजार रुपए प्रति ट्राली इजाफा हुआ है.

कई जगहों से रोजी-रोटी कमाने आते हैं मजदूर
दिनेश सिंह ने बताया कि, उनके भट्ठे पर ईंट पथाई करने वाले मजदूर बिहार, पकाने के लिए और कच्चे ईंट की भराई करने वाले मजदूर मथुरा, पकाने वाले मिस्त्री रायबरेली, ईंट पकने के बाद निकासी करने वाले मजदूर बिलासपुर, ट्राली लोड और ढुलाई करने वाले मजदूर स्थानीय होते हैं. कुल मिलाकर एक भट्ठे पर 100 से 150 मजदूरों का रोजगार चलता है. प्रति ईंट के हिसाब से उनको दिहाड़ी मजदूरी प्राप्त होती है.

ईंट भट्ठे से जुड़े सैकडों मजदूरों के रोजगार पर संकट
बिहार के नवादा जनपद निवासी मजदूर कुमारी, बबलू कुमार, माधव राज वंशीय बताते हैं कि घरबार छोड़कर रोजी-रोटी कमाने यहां आए हैं, लेकिन इस वर्ष बारिश से हम लोगों बड़ा नुकसान हुआ है. एक रुपया भी कमाई नहीं हुई औैर खाने भर की कमाई नहीं हो पा रही है, दिहाड़ी तो दूर की बात है.

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मजदूरों पर संकट खुराकी की नही हुई भरपाई
ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मजदूरों के मुताबिक, 6 महीने में सिर्फ 50 से 60 हजार ईंटों की पथाई हुई है, जिसके बदले मिलने वाली मिलने वाली मजदूरी काफी कम है. ऐसे में गुजारा करना काफी मुश्किल हो गया है. बारिश होने पर बैठ कर रोटी खानी पड़ती है. भट्ठा मालिकों से जो रुपया एडवांस लिया है. उसकी भरपाई तक नहीं हुई तो कमाई और बचत कैसे होगी. मजदूर इस बात से चिंतित है कि मौसम इसी तरह बरसता रहा तो उनके परिवार का पेट पर्दा कैसे चलेगा.

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