नई दिल्ली/ग़ाज़ियाबाद : ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पर बुद्धवार को NDRF यानी (National Disaster Response Force) ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया. हादसे के बाद हालात से निपटने के लिए इस मॉक ड्रिल के जरिए NDRF के संयोजन में कई एजेंसियों की क्षमता और कुशलता की परख की गई. ट्रेन का डिब्बा पलटने की सूचना मिलते ही रेलवे पुलिस और सिविल डिफेंस की टीम फौरन मौके पर पहुंची. जिसके बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ( National Disaster Response Force) को दुर्घटना की सूचना दी गई.
सूचना मिलते ही फ NDRF भी मौके पर पहुंची. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. जिसके तहत NDRF की टीम समेत पुलिस प्रशासन और सिविल डिफेंस ने घायल यात्रियों को ट्रेन से बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया. आठवीं बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट विकास सैनी के नेतृत्व में चला रेस्क्यू ऑपरेशन सफल करार दिया गया.
आपातकालीन अभ्यास (Mock Drill) के जरिए ऐसे तमाम हालात से निपटने के लिए तमाम एजेंसियां खुद की क्षमता और कुशलता के साथ ही सिस्टम की खामियों को परखती हैं. ताकि हकीकत में कोई हादसा होने पर पूरी मुस्तैदी के साथ राहत एवं बचाव कार्य किया जा सके. इसके लिए रेस्क्यू ऑपरेशन के अलग-अलग हिस्सों को समय के साथ निर्धारित किया जाता है. जिससे आपातकालीन स्थिति में किसी तरह की कोताही न हो.
मॉक ड्रिल के दौरान एनडीआरएफ के मौके पर पहुंचने से पहले रेलवे सिविल डिफेंस और पुलिस के जवानों ने सरफेस विक्टिम (Surface Victim) को बाहर निकाल लिया गया था. जो लोग ट्रेन के डिब्बों के अंदर फंसे हुए थे उनको एनडीआरएफ की टीमों ने बाहर निकाला. एनडीआरएफ की एक टीम ने ट्रेन के डिब्बे के दरवाजे से लोगों को बाहर निकाला, जबकि दो अन्य टीमों ने डिब्बे की छत को मशीनों से काटकर लोगों को बचाया.
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दुर्घटना स्थल से चंद कदमों की दूरी पर दुर्घटना नियंत्रण सहायता केंद्र, कम्युनिकेशन पोस्ट व मेडिकल पोस्ट बनाया गया था. दुर्घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन ने घटनास्थल पर पर्याप्त तादाद में एंबुलेंस की व्यवस्था की. एंबुलेंस से घायल मरीजों को उपचार के लिए अस्पताल रवाना किया गया.
कैसे होता है रेस्क्यू ऑपरेशन?
• एनडीआरएफ की टीम दुर्घटना स्थल पर पहुंचते ही सबसे पहले सर्च ऑपरेशन शुरू होता है. कैनाइन (Canine) और फिजिकल (Physical Search) किया जाता है. लाइव डिटेक्टर (Live Detector) और रेस्क्यू रडार (Rescue Radar) के जरिए भी सर्च किया जाता है. ये लाइव विक्टिम को डिटेक्ट करते हैं.
• विक्टिम की सही लोकेशन का पता लगने के बाद आधुनिक तकनीक वाले कटर से फंसने वाली जगह को काटकर विक्टिम को बाहर निकाला जाता है.
• विक्टिम को बाहर निकालने के बाद घटनास्थल पर मौजूद एंबुलेंस से फौरन इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया जाता है.
• रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया के दौरान एनडीआरएफ का सेफ्टी ऑफिसर लगातार अनाउंसमेंट करके घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा होने से रोकता है.
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