गाजियाबाद: भगवान भोले को प्रिय पवित्र सावन (Sawan 2022) का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने में पूजा से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है और आदिदेव महादेव की कृपा प्राप्त होती है. इसके लिए भक्त इस महीने का इंतजार करते हैं और पूरे महीने भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करते हैं. मान्यता है कि सावन मास के सोमवार को विधि-विधान से पूजा करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं. इसलिए हम कुछ मशहूर मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता. यहां सच्चे मन से प्रार्थना करने से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है. इन्हीं में से एक है गाजियाबाद का प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर, मान्यता है कि यहीं रावण ने अपना दसवां सिर आदिदेव महादेव को अर्पित किया था. पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
भगवान शिव का माह कहा जाने वाला सावन पंचांग के अनुसार 14 जुलाई, गुरुवार से आरंभ हो रहा है. हिंदू धर्म में इस सावन या श्रावण मास की विशेष महिमा है. सावन का महीना धार्मिक कार्य और पूजा पाठ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसे में गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. मंदिर के महंत नारायण गिरी महाराज बताते हैं कि मंदिर की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने की थी. उन्होंने बताया कि वे दूधेश्वर नाथ मंदिर के 16 वे महंत हैं. दूधेश्वर नाथ मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख तीर्थ स्थल है. वेद पुराणों में भी प्राचीन विश्वनाथ मंदिर का वर्णन है.
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रावण ने की थी पूजा
मान्यता है कि गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में रावण के पिता ने भी पूजा-अर्चना की थी. प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. यही नहीं, यहीं पर रावण ने अपना 10वां शीश भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था. इस मान्यता को भक्त भी जानते हैं और दूर दूर से यहां आते हैं. प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था. जहां पर गाय स्वयं दूध देती थी, वहीं भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं.
झोली भरते हैं भगवान दूधेश्वर