बरेली: यहां के उलेमा, मौलवी और धर्मगुरुओं ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान का समर्थन किया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मुस्लिम लड़के-लड़कियों का गैर मुस्लिम से शादी करना धार्मिक रूप से सही नहीं है. शरीयत के मुताबिक ऐसी शादी को इस्लाम सही नहीं मानता.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान पर प्रतिक्रिया देते बरेली के मौलाना और उलेमा मौलाना एहसान उल हक ने कहा कि सभी की तहजीब और रहने का तरीका अलग होता है. लिहाजा गैर धर्म में शादी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा की ये बात हम अपने घरों में बच्चियों को बताएं. मौलाना नूर अहमद अजहरी कहते हैं कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हालांकि उस तरह से कार्य नहीं कर रहा, जिस तरह से करना चाहिए लेकिन ये बयान स्वागत योग्य है. हाल-फिलहाल के दिनों में धर्मांतरण, मुस्लिम युवकों की गैर-मुस्लिम युवतियों से शादी और तमाम मुद्दे खूब चर्चा में रहे. इन तमाम मुद्दों में उलझकर मुसलमान युवकों और युवतियों को भी तमाम तरह के विवाद और समस्याओं का सामना करना पड़ा. इन बिंदुओं पर आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस रिलीज जारी कर मुसलमान धर्मगुरुओं और युवक-युवतियों से एक अपील जारी की है.
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि इस्लाम में शादी के मामले में यह जरूरी करार दिया गया है कि एक मुस्लिम लड़की केवल एक मुस्लिम लड़के से ही शादी कर सकती है. इसी तरह एक मुस्लिम लड़का एक मुशरिक (बहुदेववादी) लड़की से शादी नहीं कर सकता. यदि उसने जाहिरी तौर पर शादी की रस्म अंजाम दी भी हैं तो शरीयत के अनुसार वैध नहीं होगी.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अफसोस है कि शिक्षण संस्थानों और नौकरी के अवसरों में पुरुषों और महिलाओं का साथ-साथ होना और दीनी (धार्मिक) शिक्षा से अपरिचित और माता-पिता की ओर से प्रशिक्षण की कमी के कारण अंतर धार्मिक शादियां हो रही हैं. कई घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं कि मुस्लिम लड़कियां गैर-मुस्लिम लड़कों के साथ चली गईं और बाद में उन्हें बड़ी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा. यहां तक कि उन्हें अपने जीवन से भी हाथ धोना पड़ा.