अमेठी:कांग्रेस अपने ही गढ़ अमेठी में कमजोर होती दिख रही है. बीजेपी इसको अपना गढ़ बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है. तीन दिन पूर्व यूपी के डिप्टी सीएम ने अपने अमेठी दौरे में एक दलित के घर उसके साथ बैठकर भोजन किया था. वहीं, अमेठी दौरे पर आईं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जायस कस्बे में दिलशाद की दुकान पर रुककर चाय पी.
यही नहीं दिलशाद ने अपनी कुछ समस्याएं स्मृति से बताई तो उन्होंने उसका निराकरण का आश्वासन दिया. चाय के साथ उन्होंने प्यारे लाल हलवाई के समोसे भी खाए. आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी अभी से ही अलर्ट मूड में दिखाई दे रही है. विगत चुनाव में कांग्रेस को पटखनी देने के बाद बीजेपी हर हाल में अमेठी को बीजेपी के गढ़ के रूप में तब्दील करने की कोशिश कर रही है. तीन दिन पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य के जाते ही स्मृति का दो दिवसीय अमेठी दौरा लग गया.
अपने दो दिवसीय दौरे पर आईं स्मृति ईरानी ने अमेठी के लोगों का 174 करोड़ रुपये की विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण के माध्यम से दिल जीतने की कोशिश की. वहीं, सरताज ने ईटीवी भारत को बताया कि सांसद स्मृति ईरानी ने मेरी दुकान पर चाय पी. सरताज ने बताया कि उसका एक जमीन का विवाद चल रहा था. उसके निस्तारण के लिए उसने प्रार्थना पत्र दिया. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि काम हो जाएगा.
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इसके तीन दिन पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने संसदीय क्षेत्र के रोहसी गांव में राम कुमार पासी के यहां भोजन किया था. दलित के घर भोजन करने और दिलशाद की दुकान पर चाय पीने से राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई. चाय और भोजन तो एक बहाना है. असली मिशन तो 2024 का चुनाव है. आपको बताते चलें कि एक दशक पूर्व तक अमेठी और कांग्रेस एक दूसरे के पर्याय बन गए थे. देश की राजनीति में अमेठी गांधी परिवार के गढ़ के रूप में अपनी पहचान बना चुकी थी.
2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने स्मृति ईरानी को कांग्रेस के राहुल गांधी के सामने अमेठी से उम्मीदवार बनाया. फिलहाल, इस चुनाव में राहुल के आगे स्मृति टिक नहीं पाईं. स्मृति ईरानी को चुनाव में पराजय का मुंह देखना पड़ा. फिलहाल लोकतंत्र के चुनाव में हार के बावजूद भी स्मृति ने हार नहीं मानी. जनता से मिलीं. मतों को अमेठी की जनता का आशीर्वाद मानकर स्मृति क्षेत्र में डटी रहीं. पांच वर्ष बाद जब 2019 में आम चुनाव का समय आया तो बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति को पुनः उम्मीदवार बनाया. इस बार स्मृति ने कांग्रेस के किले को ध्वस्त करते हुए बीजेपी को शानदार जीत दिलाई. कांग्रेस अपने गढ़ में ही चुनाव हार गई.
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