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ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर में मूर्तियों का निरीक्षण करने के खिलाफ दी गयी याचिका खारिज - allahabad high court news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी गणेश, हनुमान, नंदी और कई अदृश्य देवताओं की मूर्तियों का मौके पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्ति के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर परिसर

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Published : Apr 21, 2022, 10:43 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी विश्वेश्वर नाथ मंदिर परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी गणेश, हनुमान, नंदी और अन्य अदृश्य देवताओं की मूर्तियों का मौके पर निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया.

अदालत ने कहा कि साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए यदि कमीशन भेजा गया है, तो इससे याची के अधिकार का उल्लघंन नहीं होता. कमीशन भेजना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं है. कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंध समिति की तरफ से दाखिल याचिका खारिज कर दी. सिविल जज सीनियर डिवीजन ने एडवोकेट कमिश्नर भेजने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी. यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया.

राखी सिंह और 8 अन्य ने ज्ञानवापी मंदिर परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी हनुमान नंदी, गणेश के दर्शन पूजन के अधिकार को लेकर सिविल कोर्ट वाराणसी की अदालत में मुकदमा दायर किया है, जिसमें स्थायी निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की गई है. कोर्ट ने अंतरिम व्यादेश जारी करने से इंकार कर दिया और विपक्षियों को सम्मन जारी कर जवाब मांगा.

इसके बाद मौके का निरीक्षण कर वादी के अधिकार में व्यवधान उत्पन्न करने और दर्शन पूजन सुरक्षा सुविधाएं मुहैया कराने की अर्जी दी और एडवोकेट कमिश्नर भेजने की मांग की. इस पर मौके की रिपोर्ट मंगाने के लिए कोर्ट ने अजय कुमार को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया और उनसे रिपोर्ट मांगी. इसे अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की तरफ से चुनौती दी गई थी.

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याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने बहस की. इनका कहना था कोर्ट साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए कमीशन नहीं भेज सकती. कमिश्नर ने पुलिस बल मांगा है. इसका मतलब है, अभी तक कमीशन लागू नहीं हुआ है और उसने कोई रिपोर्ट नहीं दी है. कोर्ट ने कहा कि कुछ साक्ष्य ऐसे होते हैं, जिन्हें पक्षकार पेश नहीं कर सकते. कोर्ट यदि साक्ष्य के लिए कमीशन भेजती है, तो यह उसके अधिकार क्षेत्र में है.

कमीशन नियुक्त करने से याची के कोई अधिकार प्रभावित नहीं होते. राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी.

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