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कोरोना के कारण पैदा हुए हालात में प्रत्यावेदन तय करने में देरी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी बस्ती द्वारा काली प्रसाद उर्फ पंडित सिंह को रासुका के तहत निरुद्धि की वैधता को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि कोरोना के कारण पैदा हुए हालात में प्रत्यावेदन तय करने में देरी नहीं हुई है.

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Published : Aug 27, 2021, 10:38 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी बस्ती द्वारा काली प्रसाद उर्फ पंडित सिंह को रासुका के तहत निरुद्धि की वैधता को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि याची ने स्वयं ही कहा है कि कोरोना के कारण वो हलफनामा दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं आ पाया. प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को इस मामले में उठाए गए त्वरित कदमों की जानकारी दी. हाईकोर्ट ने रासुका निरुद्धि आदेश के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी.

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यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने काली प्रसाद की याचिका पर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कोरान काल की परिस्थितियों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि प्रत्यावेदन तय करने में देरी की गई है.

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इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी बस्ती द्वारा काली प्रसाद उर्फ पंडित सिंह को रासुका के तहत निरुद्धि की वैधता को चुनौती देने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कोरोना संक्रमण काल की परिस्थितियों को देखते हुए याची का प्रत्यावेदन निस्तारित करने में अनुचित विलंब नहीं हुआ है. वरिष्ठ अधिवक्ता डी एस मिश्र का कहना था कि निस्तारण में 57 दिन की देरी का कारण नहीं बताया गया था.

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