प्रयागराज: धर्म और आध्यात्म की नगरी प्रयागराज कांग्रेस का गढ़ रही है. पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी तक ने राजनीति का ककहरा संगम की धरती से ही सीखा और देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली. कांग्रेस के राज में प्रयागराज से देश की राजनीति को दिशा दी जाती थी. संगम नगरी को नेहरू-गांधी की धरती भी कहा जाता है.
यूपी विधानसभा चुनाव में नेहरू के उसी गढ़ में आज कांग्रेस का नाम लेने वाले लोग भी गिनती के बचे हुए हैं. प्रयागराज में कांग्रेस के आस्तित्व को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. यहां 12 विधानसभा सीट हैं. इलाहाबाद उत्तरी विधानसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी अनुग्रह नारायण सिंह को यूपी कांग्रेस के दिग्गजों में गिना जाता था. इस बार के चुनाव परिणाम अनुग्रह नारायण सिंह के लिये भी चौंकाने वाले थे, क्योंकि इस बार उनकी जमानत जब्त हो गयी. यहां भाजपा के विजयी प्रत्याशी हर्ष वर्धन बाजपेयी को 96 हजार से अधिक वोट मिले. वहीं कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह मात्र 23,517 वोट ही हासिल कर सके. सपा के उम्मीदवार संदीप यादव को 42,007 वोट मिले.
अनुग्रह नारायण सिंह शुरू से ही इसे अपना आखिरी चुनाव बता रहे थे. इस बार की हार उनके राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी हार रही. इस चुनाव के पहले वो जब भी हारे तो दूसरे स्थान पर रहते थे. इस बार अनुग्रह नारायण सिंह के साथ ही अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बाकी 11 उम्मीदवारों की भी जमानत जब्त हो गयी.
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