प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा हिंडन बाढ़ क्षेत्र में नोएडा के प्रस्तावित ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर रोक लगा दी है. अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण कार्रवाई की आशंका को लेकर दाखिल याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश गुरुवार को दिया.
इस आदेश से उन सैकड़ों लोगों को राहत मिली है, जिनके निर्माण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जद में आ रहे थे. कोर्ट ने ध्वस्तीकरण से प्रभावित होने वाले लोगों को नोएडा के समक्ष 10 दिन के भीतर आपत्ति प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, साथ ही आपत्ति के निस्तारण तक मौके पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने हरित किसान कल्याण समिति, अध्यक्ष राजेश अग्रवाल व अन्य की याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय कुमार सिंह, अधिवक्ता नितिन चंद्र मिश्र, आशुतोष तिवारी व अन्य को सुनकर दिया है. चिकाओं में नोएडा के आठ जून 2022 के पब्लिक नोटिस को चुनौती दी गई थी. नोटिस में कहा गया है कि नोएडा के क्षेत्राधिकार में आने वाले गंगा हिंडन नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में किसी भी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध है. जो भी निर्माण बिना किसी बिल्डिंग प्लान स्वीकृत कराए बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में किया गया है, वे सब अवैध हैं और अथॉरिटी उनका ध्वस्तीकरण करेगी.
याचियों का कहना था कि सोसायटी के सदस्यों के अधिकतर निर्माण 2010 या उसके पहले के हैं. उस समय गंगा हिंडन के प्रभाव क्षेत्र का कोई आकलन नहीं किया गया था. अब अथॉरिटी नोटिस जारी करके ध्वस्तीकरण की धमकी दे रही है. यह भी कहा गया कि अथॉरिटी ने सदस्यों को व्यक्तिगत रुप से कोई नोटिस नहीं दिया है. इस पर कोर्ट ने किसी सदस्य को ध्वस्तीकरण का व्यक्तिगत नोटिस दिए जाने के बारे में पूछा तो अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट का ध्यान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चल रही विभिन्न कार्यवाही की ओर दिलाया.